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वीडियो : देखें मंडावा का पारदर्शी शिवलिंग

मंडावा कस्बे में स्थित 123 साल पुराना स्फटिक शिवालय (कंचनीयां महादेव) धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी विख्यात है। यूरोप सहित अन्य देशों से आने वाले पर्यटक पारदर्शी शिवलिंग को जरूर देखते हैं।

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वीडियो : देखें मंडावा का पारदर्शी शिवलिंग

वीडियो : देखें मंडावा का पारदर्शी शिवलिंग

मंडावा. कस्बे में स्थित 123 साल पुराना स्फटिक शिवालय (कंचनीयां महादेव) धार्मिक आस्था का केन्द्र होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी विख्यात है। यूरोप सहित अन्य देशों से आने वाले पर्यटक पारदर्शी शिवलिंग को जरूर देखते हैं।

स्फटिक शिवालय का धार्मिक व पर्यटन क्षेत्र में विशेष महत्व है। शिवालय में स्थापित शिवलिंग की खास बात है कि एक विशेष प्रकार के स्टफिक पत्थर से बने शिवलिंग के आर पार आसानी से देखा जा सकता है।
रूद्राभिषेक व फूलों की सजावट के बाद शिवलिंग में एक विशेष प्रकार की रोशनी दिखाई देती है, ऐसा राजस्थान में एकमात्र स्फटिक शिवलिंग है। तेज धूप व भीषण गर्मी के समय में भी शिवलिंग का तापमान नहीं बढ़ता है।

शिवालय की स्थापना का इतिहास

कंचनीयां महादेव के नाम से प्रसिद्ध इस पारदर्शी शिवालय का निर्माण बैसाख बदी 13 को विक्रम संवत 1956 में सेठ हरचंदराय भागचंदका ढ़ाढणियां ने करवाया था। उस समय शिवलिंग को तरासने की लागत पांच सौ रुपए आई थी। सेठ ने शिवालय व कुआं बनवाया। लोगों का कहना है कि उस समय स्वामी बृजदास के पास हिमालय की तलहटी में रहने वाला एक संत स्टफिक पत्थर लाया था। उन्होंने कहा कि यदि कोई सेठ साहुकार शिव मंदिर बनवाना चाहे, तो यह पत्थर दे दूं। फिर सेठ हरचंदराय भागचंदका ढ़ाढणियां शिव मंदिर बनवाया और स्टफिक का शिवलिंग स्थापित करवाया। वर्ष 2008 में हरचंदराय ढ़ाढणियां चैरिटेबल ट्रस्ट ने प्राचीन शिव मंदिर का 40 लाख की लागत से जीर्णोद्धार कराकर भव्य रूप दिया।

पर्यटन केन्द्र बना शिवालय

शताब्दी पूर्व से धार्मिक आस्था का केन्द्र बना शिवालय अब पर्यटन केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है। कंचनीया महादेव शिवालय को देखने के लिए विदेशी पर्यटक आते हैं। स्फटिक शिवलिंग को देखने के लिए इटली, फ्रांस, जापान, जर्मनी, स्वीडन, ब्रिटेन, कनाटा, आस्ट्रेलिया आदि से पर्यटक आते हैं।

तीसरी पीढ़ी कर रही पूजा

प्रथम पुजारी सांवरमल के बाद श्यामलाल नरेड़ा ने पूजा की। वर्तमान में रमाकांत नरेड़ा शिव मंदिर के पुजारी हैं।


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