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मोदी सरकार का प्राइवेट कर्मचारियों को बड़ा तोहफा! कपंनी ने परेशान किया तो लगेगी पेनल्टी

Published: Jun 27, 2018 02:03:15 pm

Submitted by:

Anil Kumar

टैक्स अथॉरिटी ने इस बाबत इंफोसिस, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को चिट्ठी लिखी है।

Govt Rules on Private Employees

मोदी सरकार एक और कड़ा फैसला! कंपनी ने नोटिस पिरीयड पूरा न वाले कर्मचारी से पैसे लिए तो देना होगा 18% टैक्स

मोदी सरकार की ओर से प्राइवेट कर्मचारियों को बड़ी राहत दी गई है। प्राइवेट कर्मचारियों को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत किसी कंपनी ने अपने कर्मचारी से उसके द्वारा नोटिस पिरीयड पूरा न करते हुए नौकरी छोड़ने पर पैसे लिए तो उसें 18% टैक्स देना पड़ेगा। अप्रत्यक्ष कर विभाग ने अर्ली एग्जिट पे के तहत नियोक्ता कंपनियों को कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले पेमेंट को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला किया है। इस बाबत इंफोसिस, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को चिट्ठी लिखी गई है। इसके बाद अब कुछ कंपनियां टैक्स भुगतान करने के लिए तैयार हैं, जबकि कुछ इस बारे में औपचारिक आदेश का इंतजार कर रही हैं।


अप्रत्यक्ष कर विभाग वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का दायरा बढ़ाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। नई योजना के आने से आईटी कंपनियों को ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। अप्रत्यक्ष कर विभाग ने अर्ली एग्जिट पे को लेकर आईटी कंपनियों को चिट्ठी लिखी है। अर्ली एग्जिट पे के तहत नौकरी छोड़ते समय नोटिस पिरीयड पूरा न करने वाले कर्मचारियों को नौकरी देने वाली कंपनियों को भुगतान करना पड़ता है। टैक्स विभाग इस तरह से कंपनियों को होने वाली इनकम को भी जीएसटी के दायरे में लाने जा रपहा है। इसके लिए विभाग अर्ली एग्जिट पे ट्रांजेक्शन की जांच-पड़ताल कर रहा है। टैक्स विभाग ने इसको टैक्सेबल मानता है और जीएसटी के दायरे में लाना चाहता है।


अप्रत्यक्ष कर विभाग ने अर्ली एग्जिट पे को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस बाबत विभाग ने गूगल, एप्पल, ओरेकल, टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एचपी, एचसीएल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि अर्ली एग्जिट पे के तहत मिलने वाली राशि पर 18 फीसद जीएसटी लगनी चाहिए। विभाग ने आईटी कंपनियों से इस मद में होने वाली आय को टैक्सेबल मानने को कहा है। इसके अलावा टैक्स विभाग ने कैंटीन सेवा देने की एवज में कर्मचारियों से लिए जाने वाले पैसे को भी जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में लिखा है।


अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) ने हाल में ही इस बारे में फैसला लिया था जिसके लिए अप्रत्यक्ष कर विभाग की दलील है कि नौकरी देने वाली कंपनियों को कर्मचारियों की ओर से होने वाले हर पेमेंट को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। अब जल्द ही इस फैसले के औपचारिक तौर पर लागू होते ही कंपनियों को पेमेंट करने के लिए कहा जाएगा। हालांकि इसके पहले ही कुछ कंपनियां भुगतान को तैयार है। जबकि कुछ कंपनियां औपचारिक तौर पर टैक्स देने की मांग करने तक इंतजार कर रही हैं।

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