महाराष्ट्र का शैलेष मराठा जेल में बंद रहने के दौरान अलवर की गैंग के सम्पर्क में आया था। वहीं, पर उसकी जान पहचान नरेश नवल से हुई थी। ट्रक लूट के बाद मदद के लिए शैलेष ने नरेश, उसके भाई जुगल नवल व हनुमानराम को शामिल किया गया था। चालक को बेहोश कर ट्रक लूट के बाद जुगल नवल रात को सांगरिया फांटा पहुंचा था, जहां उसने ट्रक में भरा लूट का माल खरीदने के लिए शैलेष मराठा को दो लाख रुपए दिए थे। फिर माल को खेत में खाली कराया गया था, जहां उसे बेचा जाना था।
गत १५ अक्टूबर को गुडग़ांव से १८ लाख रुपए के मारूति कम्पनी के पाट्र्स भरकर एक ट्रक अहमदाबाद के लिए रवाना हुआ था। रास्ते में दो युवक ट्रक में सवार हुए थे। जिन्होंने चालक रमजान को नशीली चाय पिलाकर बेहोश कर दिया था। झालामण्ड बाइपास पर दोनों लुटेरों को शैलेष मराठा मिला था। वह अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ट्रक ओमाराम पटेल के खेत ले गया था, जहां बाड़े में पाट्र्स के कार्टन उतार दिए थे। हनुमानराम ने मामा ओमाराम व मामी को अपनी कम्पनी का माल बताया था व एक दो दिन में माल वापस ले जाने का विश्वास दिलाया था।