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जैसलमेर बस अग्निकांड : अब अस्पताल में टूट रही सांसों की डोर, 22 की मौत, 5 की हालत गंभीर

हादसे में 19 व्यक्ति मौके पर ही जिंदा जल गए थे। सभी शव जोधपुर भेजे गए थे। इनमें से दस शव एम्स व नौ शव एमजीएच की मोर्चरी में रखवाए गए थे। एक शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है।

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Jaisalmer bus fire

एमजीएच मोर्चरी के बाहर बिलखता युवक। फोटो- पत्रिका

जोधपुर। जैसलमेर में निजी स्लीपर बस में आग से गंभीर झुलसी एक और महिला की गुरुवार को महात्मा गांधी अस्पताल की बर्न यूनिट में मृत्यु हो गई। इसके साथ ही मृतकों की संख्या 22 हो गई। अभी भी 13 जने भर्ती हैं। उधर, डीएनए जांच रिपोर्ट मिलने के बाद तीसरे दिन 18 शवों की शिनाख्त हो पाई और फिर पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सौंपे गए। परिजन के न आने की वजह से एक शव अभी तक एम्स मोर्चरी में है।

पुलिस के अनुसार हादसे में जैसलमेर के भंबोरों की ढाणी निवासी भागा बानो (59) पत्नी हाजी खान 80-90 प्रतिशत झुलस गईं थी। उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल की बर्न यूनिट में वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया था, जहां इलाज के दौरान गुरुवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सौंपा। इससे पहले 21 जनों की मृत्यु हो चुकी है। अभी 13 जने भर्ती हैं। इनमें से पांच की हालत गंभीर बताई जाती है।

रामदेवरा के पास एका गांव निवासी महिपाल सिंह, लाठी निवासी ओमाराम, बंबोरों की ढाणी निवासी पीर मोहम्मद, उनकी पत्नी इमीमाता, जेएनवीयू कॉलोनी निवासी मनोज भाटिया, गंगाणा निवासी इकबाल व फिरोज, भवानीपुरा निवासी जीरज (15), जांवाद निवासी हुसैन, जोधपुर निवासी विशाषा व उसके पिता आशीष दवे, गोमट निवासी रफीक खान, सेतरावा निवासी लक्ष्मण और उबेदुुल्ला खान का इलाज चल रहा है।

दम्पती व तीन बच्चों की मौत की पुष्टि

उधर, एफएसएल से गुरुवार सुबह छह बजे 18 जनों की डीएनए जांच रिपोर्ट पुलिस को प्राप्त हो गई। इसके बाद डॉक्टर्स की मदद से शवों की शिनाख्त की गई। जिसमें जोधपुर के सेतवारा में लवारन गांव निवासी महेन्द्र, उसकी पत्नी पार्वती, पुत्री खुशी व दीक्षा और पुत्र शौर्य की मृत्यु की पुष्टि हो गई। इसका पता लगते ही मोर्चरी के बाहर परिजन रोने लग गए। वे आर्थिक मदद की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। जनप्रतिनिधियों व पुलिस अधिकारियों की समझाइश के बाद परिजन शव लेने पर सहमत हुए।

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दिनभर 18 शवों का पोस्टमार्टम

हादसे में 19 व्यक्ति मौके पर ही जिंदा जल गए थे। सभी शव जोधपुर भेजे गए थे। इनमें से दस शव एम्स व नौ शव एमजीएच की मोर्चरी में रखवाए गए थे। एक शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है। उसका शव एम्स मोर्चरी में है। शेष 18 शवों की डीएनए जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाए गए। तत्पश्चात एक-एक कर शव परिजन को सौंपे गए। शाम करीब चार बजे सभी शव परिजन को सुपुर्द किए जा सके।