आइजीएनपी से राजीव गांधी लिफ्ट केनाल को मिलने वाले 270 क्यूसेक पानी की बजाय अभी 250-260 क्यूसेक के बीच ही मिल रहा है। इसमें भी ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा खपत होने के कारण शहरी जलापूर्ति के लिए पानी की कमी को कायलाना-तख्तसागर जैसे जलाशयों से पानी लेकर काम चलाया जा रहा है। प्रतिदिन करीब 2 से 3 एमसीएफटी तक पानी इन जलाशयों से लिया जा रहा है। ऐसे में अगली नहरबंदी से पहले ही संकट खड़ा हो गया है। 24 घंटे का शटडाउन लेकर 15 एमसीएफटी पानी बचाया जाएगा।
70 दिन के लिए तैयार नहीं अभी जोधपुर
आइजीएनपी में फिलहाल साल में एक बार 30-40 दिन की नहरबंदी होती है। उसके लिए पानी केनाल व जलाशयों में स्टोर किया जाता है। इनमें अधिकतम 40-50 दिन तक ही पानी स्टोर करने की व्यवस्था है। यदि केनाल का तीसरा चरण का काम होता है तो 70 दिन की नहरबंदी में जोधपुर को पानी पिलाने जितना पेयजल स्टोर किया जा सकता है। लेकिन यह प्रोजेक्ट फिलहाल केन्द्र सरकार के स्तर पर अटका है।
फैक्ट फाइल
– 270 क्यूसेक पानी की जरूरत है जोधपुर को आईजीएनपी से।
– 250-260 क्यूसेक के बीच पानी मिल रहा है अभी केनाल को। – 2-3 एमसीएफटी पानी प्रतिदिन कायलाना-तख्तसागर जलस्रोतों से लिया जा रहा है।
– 198 एमसीएफटी पानी है अभी दोनों जलाशयों में।
– 3 एमसीएफटी लगातार घटता रहा तो 2 माह में खाली हो जाएंगे जलस्रोत।
– 70 दिन की नहरबंदी के लिए अभी जोधपुर में नहीं है स्टोरेज की पर्याप्त क्षमता – 300 एमसीएफटी से ज्यादा पानी चाहिए इन जलाशयों में संकट से निपटने के लिए।
– 350 एमसीएफटी करीब दोनों जलाशयों की क्षमता।… काश इस साल पूरा हो जाता तीसरा चरण
राजीव गांधी लिफ्ट केनाल का तीसरा चरण यदि इस साल तक पूरा हो जाता तो बड़ी राहत मिल सकती थी। करीब 2 हजार गांवों को पानी मिलता तो केनाल में पानी स्टोर करने की क्षमता भी बढ़ती। इसके लिए करीब 14 सौ करोड़ की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने अनुमति देकर केन्द्र सरकार के पाले में गेंद डाली है। वहां से स्वीकृति मिलने पर एशियन डवलपमेंट बैंक से लोन राशि पास होगी।
इनका कहना…
अभी कुछ पानी कम मिल है और ग्रामीण क्षेत्र में खपत भी ज्यादा हो रही है। 70 दिन की नहरबंदी के लिए हम तैयार नहीं है। यदि लिफ्ट केनाल का तीसरा चरण पूरा होता है तो हम पर्याप्त पानी स्टोरेज कर पाएंगे।
– दिनेश कुमार पेडीवाल, अधीक्षण अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग।