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चिकित्सक हड़ताल : जोधपुर के अस्पतालों के आउटडोर से घटे 650 मरीज, 6 दिनों में मौतों का आंकड़ा पहुंचा 93

एमडीएम अस्पताल में भर्ती ओसियां निवासी वृद्ध की स्वाइन फ्लू से मौत  

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जोधपुर . सेवारत चिकित्सकों और मेडिकल कॉलेज रेजीडेंट डॉक्टर्स मांगों पर अड़े हैं और सरकार अपनी जिद पर । इस बीच जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं मरीज। हड़ताल के कारण जोधपुर के बड़े सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं डगमगाने लगी है। वहीं मथुरादास माथुर अस्पताल और महात्मा गांधी अस्पताल के शुक्रवार के आंकड़ों पर गौर करें तो शनिवार को दोनों ही अस्पतालों में ६७३ मरीज आउटडोर में घट गए।

हालांकि उम्मेद अस्पताल में इस दिन २७ मरीज बढ़े है। वहीं हड़ताल के छठे दिन शनिवार को जारी रिपोर्ट में शहर के इन तीनों बड़े मेडिकल कॉलेज संबंद्ध अस्पतालों में १७ मरीजों की मौत हो गई। इसमें एमडीएम अस्पताल में १५, उम्मेद-एमजीएच में एक-एक मरीज की मौत हुई हैं। वर्तमान में चल रही हड़ताल के दौरान कुल ९३ मरीजों की मौत हो चुकी हैं। कई मरीजों को सरकारी अस्पतालों को छोड़ निजी अस्पतालों की ओर भागना पड़ रहा है। उन्हें वार्डों में पहले की तरह सारसंभाल नजर नहीं आ रही है। एमडीएम अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है।


५५ वर्षीय वृद्ध की स्वाइन फ्लू से मौत

मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती ओसियां निवासी ५५ वर्षीय वृद्ध की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। जबकि इस दिन दो रोगियों को स्वाइन फ्लू पॉजीटिव आया हंै। हालांकि ओसियां निवासी वृद्ध की मौत के बाद ही स्वाइन फ्लू रिपोर्ट पॉजीटिव आना बताया जा रहा है। दूसरा स्वाइन फ्लू पॉजीटिव भोपालगढ़ निवासी ५० वर्षीय मेल है। वहीं जोधपुर में स्वाइन फ्लू के कारण अब तक २१ मरीजों की मौत हो चुकी है। सभी रोगी शहर, जिला व संभागीय जिलों के हैं।

हड़ताल का खामियाजा भुगत रहे मरीज


एक तरफ जहां हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अस्पताल में निर्धारित समय के बाद भी चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। मथुरादास माथुर अस्पताल की न्यू ओपीडी स्थित ऑर्थोपेडिक वार्ड में शनिवार को देखने को मिला, जहां निर्धारित समय के बाद भी अस्पताल में चिकित्सक दिखाई नहीं दिए। इससे कई मरीजों को चिकित्सकों से जांच करवाने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ा। इस दौरान कई मरीज इलाज करवाए बिना लौटते हुए दिखाई दिए। इंतजार कर रहे मरीजों का कहना था कि वे एक घंटे से लाइन में खड़े हैं, लेकिन चिकित्सकों की हड़ताल का खामियाजा उन्हे लाइन में लग कर भुगतना पड़ रहा है।

एक चिकित्सक होने से परेशानी

सुबह एक स्कूली टैक्सी पलटने से घायल हुई छात्राओं को इलाज के लिए एमडीएमएच के ट्रोमा सेंटर लाया गया। इस दौरान ऑर्थोपेडिक विभाग में उपस्थित एक मात्र चिकित्सक के ट्रोमा सेंटर चले जाने के कारण मरीजों को विभाग में एक घंटे तक उपचार के लिए इंतजार करना पड़ा।