एनसीटीई की उत्तर क्षेत्रीय समिति की 15 अक्टूबर को हुई 290वीं बैठक में समिति के अध्यक्ष प्रो. जेके जोशी ने बाबा भगवानदास राजकीय बीएड कॉलेज चिमनपुरा और आरएल सहरिया बीएड कॉलेज कालाडेरा (दोनों जयपुर), परसराम मदेरणा बीएड कॉलेज भोपालगढ़ (जोधपुर), राजकीय महाविद्यालय खेरवाड़ा उदयपुर और एसजीएसजी राजकीय महाविद्यालय नसीराबाद (अजमेर) में बीएड पाठ्यक्रम बंद करने का आदेश पारित किया।
राज्य सरकार ने ये सात बीएड कॉलेज वर्ष 2015 में शुरू किए थे। शुरुआत में प्रत्येक बीएड कॉलेज को 77 लाख रुपए दिए गए। इसमें से 50 लाख भवन निर्माण और शेष लाइब्रेरी व शिक्षण कार्यों के लिए थे। सातों बीएड कॉलेजों ने इस राशि से जितना संभथ था भवन बना लिया और राज्य सरकार शिक्षकों की व्यवस्था नहीं कर सकी। एनसीटीई के नियमानुसार बीएड कॉलेज में 16 शिक्षक और एक एचओडी होने के साथ उसकी इमारत न्यूनतम 2 हजार वर्ग मीटर में होनी चाहिए। ये पांचों कॉलेज न्यूनतम मापदण्ड पूरे नहीं करते। इनके अलावा राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान बीकानेर और अजमेर में भी बीएड पाठ्यक्रम संचालित है और इन दोनों बीएड कॉलेजों में स्कूली शिक्षक बीएड के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।
किस कॉलेज में क्या कमी 1 बाबा भगवानदास महाविद्यालय चिमनपुरा- 1 शिक्षक, एचओडी नहीं
2 आरएल सहरिया महाविद्यालय कालाडेरा- 6 शिक्षक, एचओडी नहीं, केवल 300 वर्गमीटर में भवन
3 परसराम मदेरणा महाविद्यालय भोपालगढ़- 6 शिक्षक, एचओडी नहीं, 362 वर्गमीटर में भवन
4 राजकीय महाविद्यालय खेरवाड़ा- 5 शिक्षक, एचओडी नहीं, 342 वर्गमीटर में भवन
5 एसजीएसजी महाविद्यालय नसीराबाद- 1 शिक्षक, एचओडी नहीं, 1731 वर्गमीटर में भवन
विश्वविद्यालयों पर भी उठे सवाल
चिमनपुरा और कालाडेरा महाविद्यालय को राजस्थान विवि (जयपुर), भोपालगढ़ को जेएनवीयू (जोधपुर), खेरवाड़ा कॉलेज को मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि (उदयपुर) और नसीराबाद कॉलेज को एमडीएस विवि (अजमेर) ने मान्यता प्रदान दी थी। एनसीटीई की कार्यवाही के बाद बीएड कॉलेजों को मान्यता देने के चारों विवि के फैसले पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।