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प्रदेश के हजारों बच्चों का आरटीई से प्रवेश गलत, यूं अभिभावकों व स्कूलों ने एक दूजे को रखा गफलत में!

प्रदेश के 33 जिलों में 7482 स्कूल भौतिक सत्यापन में सही नहीं पाए गए।

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जोधपुर . राइट टू एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीआई) को लेकर अभी आम जनता में पूरी तरह जागरूकता नहीं आई है। कई जगह योग्य अभिभावकों ने आरटीई प्रवेश के लिए रुचि नहीं दिखाई, तो कहीं जगह स्कूलों ने भी अभिभावकों को गफलत में रखा। इस कारण प्रदेश के 33 जिलों में 7482 स्कूल भौतिक सत्यापन में सही नहीं पाए गए। इसमें शिक्षा विभाग की ओर से कई कारण बताए जा रहे हैं। इन कारणों को जान कर हर कोई हैरान है।

फिर भी हजारों विद्यार्थी


स्कूलों में आरटीई का फायदा व शिक्षा लेने से वंचित रह गए। पूरे प्रदेश के ३३ जिलों में कुल ३३६७४ स्कूल हैं।फिर जान लें यह है आरटीईइस कानून के तहत कोई अभिभावक जिसकी आय एक लाख रुपए या उससे कम है तो वह अपने बच्चे को किसी भी निजी स्कूल में २५ प्रतिशत सीट पर नि:शुल्क प्रवेश दिला सकता है। यह प्रवेश केवल शुरुआती कक्षा में दिया जाता है। इसमें विद्यार्थी केवल अपने वार्ड क्षेत्र में ही प्रवेश ले सकता है। गांव का बच्चा शहर और शहर का बच्चा ग्रामीण निजी स्कूल में प्रवेश नहीं ले सकता। यह नियम अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं है।

ये भी रहे कारण

बालक दुर्बल वर्ग या असुविधाग्रस्त समूह का नहीं होना, बालक के निवास सम्बन्धित दस्तावजे सक्षम अधिकारी से जारी नहीं, आयु व निवास संबंधित दस्तावेज रिपोर्टिंग तारीख के बाद की तारीख में जारी किए गए हों, बालक कैचमेंट एरिया के बाहर का निवासी है, जैसे कई कारण बताए जाते हैं। आय वर्ग की सीमा घटाना भी कारण रहा है। पूर्व में सरकार ने ढाई लाख रुपए की आय वाले अभिभावकों के बच्चों के प्रवेश का प्रावधान रखा गया था। इसके बाद बीपीएल व फिर एक लाख की आय सीमा निर्धारित की।

इनका कहना है

कई अभिभावकों में आरटीई को लेकर जागरूकता नहीं है। कई लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। दूसरी ओर कई निजी स्कूल भी अशिक्षित अभिभावकों को गफलत में रखते हैं।


- मदनलाल विश्नोई, जिला आरटीई प्रभारी, जोधपुर


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