scriptहर साल मलबे-पॉलीथिन से भर जाती हैं प्राचीन नहरें | Ancient canals are filled with rubble-polythene every year | Patrika News

हर साल मलबे-पॉलीथिन से भर जाती हैं प्राचीन नहरें

locationजोधपुरPublished: Jun 17, 2021 11:25:09 am

Submitted by:

Nandkishor Sharma

 
प्रशासन की चुप्पी से लोगों ने नहरों में बॉलकॉनियां बनाकर कर लिया अतिक्रमण
आओ बचाए प्राचीन संपदा अभियान-4

हर साल मलबे-पॉलीथिन से भर जाती हैं प्राचीन नहरें

हर साल मलबे-पॉलीथिन से भर जाती हैं प्राचीन नहरें

NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर. जोधपुर के जिन शासकों ने दूरदर्शिता और सूझबूझ से पानी की नहरें बनाकर अन्य शहरों के लिए मिसाल कायम थी। वह प्राचीन नहरें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं। जोधपुर शहर की प्राचीन विरासत प्राचीन नहरें मलबों और अतिक्रमण में तो कुछ अवैध खनन से दफन होती जा रही हैं, लेकिन प्रशासन बरसों से चुप्पी साधे हुए है। अकाल में शहरवासियों की प्यास बुझाने वाले प्राचीन जलाशय गुलाब सागर और फतेहसागर जलाशय की नहरें मलबे और पॉलीथिन से भरी हुई हैं। नगर निगम भी हर साल एक बार मानसून पूर्व कुछ मलबा निकालकर अपनी ड्यूटी की इतिश्री कर लेता है। प्रशासन की इसी बेपरवाही का नतीजा है कि लोगों ने नहरों में मलबों के साथ नहर की दीवार पर भी अतिक्रमण कर मकान बना दिए तो कई लोगों ने दो कदम आगे बढ़कर बॉलकॉनियों तक का निर्माण कर दिया है। कायलाना, तख्तसागर, बालसमंद, कालीबेरी, गोलासनी, केरू, बेरीगंगा, बाईजी तालाब, गंगलाव तालाब, रातानाडा तालाब की नहरों का तो वजूद ही खत्म हो चुका है। प्राचीन परम्परागत नहरों का वजूद खत्म होने से हर साल बारिश में सड़कों पर पानी के भराव का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ता है।
अब अवशेष भी नजर नहीं आते
फतेह सागर की मुख्य नहर भी कागा श्मशान की पहाडिय़ों से बागर, जीवनदास का कुआं, विजयचौक, जालोरियों का बास से होते हुए तालाब में आकर मिलती थी। वर्तमान में नहर में सीवरेज लाइनें जोड़ दी गई है जिसका पानी फतेह सागर में एकत्रित होता है। नतीजन तालाब का पानी सडांध मारने लगा है। नहर पर कब्जे होने के साथ मलबों का ढेर लगा है। नहर के उद्गम स्थल पर मकान बन चुके हैं। बागर चौक से नहर दो भागों में विभक्त होकर एक गुलाब सागर तो दूसरी नहर फतेहसागर जाकर मिलती थी।
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