कोर्ट ने जेडीए, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) और डवलपर को आपसी विचार-विमर्श का समय देते हुए समस्या के समाधान के साथ बुधवार को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा की खंडपीठ में याचिकाकर्ता मनोजकुमार पंवार की ओर से पेश अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल, 2008 को सभी अप्रार्थियों को दो महीने के भीतर एक डवलपर द्वारा विकसित आवासीय योजना में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसकी अब तक पालना नहीं की गई है।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा की खंडपीठ में याचिकाकर्ता मनोजकुमार पंवार की ओर से पेश अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल, 2008 को सभी अप्रार्थियों को दो महीने के भीतर एक डवलपर द्वारा विकसित आवासीय योजना में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसकी अब तक पालना नहीं की गई है।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने बताया कि जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने जेडीए से प्राप्त राशि के आधार पर आवासीय योजना तक पाइप लाइन बिछा दी है। इसका कनेक्शन करने के लिए डवलपर को ओवरहेड व अंडरग्राउंड वाटर टैंक निर्मित करना है। इसका प्रतिवाद करते हुए डवलपर के अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने कहा कि जिस टाउनशिप नीति के तहत योजना मंजूर की गई, उसके अनुसार विकास शुल्क जमा करवा दिया गया था। अब यह जिम्मेदारी जेडीए व पीएचइडी की है। खंडपीठ ने कहा, हम समस्या नहीं सुनना चाहते, समाधान चाहते हैं।