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स्थापना के 18 साल बाद आयुर्वेद विवि में खुले डॉक्ट्रेट के द्वार

- पीएचडी के लिए 7 विभागों में 32 सीटों पर प्रवेश, अब तक एनआईए जयपुर में ही हो रहा था शोध कार्य

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स्थापना के 18 साल बाद आयुर्वेद विवि में खुले डॉक्ट्रेट के द्वार

स्थापना के 18 साल बाद आयुर्वेद विवि में खुले डॉक्ट्रेट के द्वार

जोधपुर. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने स्थापना के 18 साल खुद के कैंपस में पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू किया है। पहले साल आयुर्वेद के सात विभागों की 32 सीटों पर प्रवेश दिया गया है। अब तक विश्वविद्यालय से संबद्ध जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) में ही आयुर्वेद में पीएचडी होती थी, लेकिन दो साल पहले एनआईए को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद आयुर्वेद विवि ने अपने स्तर पर ही पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू किया है।
जयपुर के बाद आयुर्वेद में पीएचडी करवाने वाला जोधपुर प्रदेश का दूसरा शहर बन गया है। होम्योपैथी में पीएचडी जयपुर स्थित होम्योपैथिक विश्वविद्यालय में ही उपलब्ध है। प्रदेश के अन्य महाविद्यालयों में होम्योपैथी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम नहीं कराया जाता। आयुष की तीसरी चिकित्सा पद्धति यूनानी में प्रदेश में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम कहीं पर भी नहीं है। ऐसे में इस विषय में पीएचडी भी नहीं होती है।

अगले साल विस्तार की उम्मीद
आयुर्वेद विवि ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पीएचडी रेगुलेशन-2016 के अनुसार बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) की बैठक में पीएचडी के नियमों को अंतिम रूप दिया था। विवि में आयुर्वेद के 11 विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध है। अगले साल से अन्य विभाग में भी पीएचडी शुरू की जा सकती है। विवि से सम्बद्ध उदयपुर स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय भी पीएचडी शुरू करने की योग्यता रखता है लेकिन वहां अभी तक पीएचडी शुरू नहीं की गई है।

किस विभाग में कितनी सीटें
- 7 सीटें द्रव्य गुण विभाग
- 5 सीटें काय चिकित्सा विभाग
- 2 सीटें बाल रोग विभाग
- 3 सीटें रस शास्त्र भेषज कल्पना चिकित्सा विभाग
- 5 सीटें शरीर रचना विभाग
- 5 सीटें शरीर क्रिया विभाग
- 5 सीटें शल्य चिकित्सा विभाग

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‘विवि के स्वयं के कैंपस में पहली बार पीएचडी शुरू की गई है। अभ्यर्थी आयुष मंत्रालय की फैलोशिप के जरिए यहां आसानी से पीएचडी कर पाएगा।’
-डॉ अभिमन्युु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ एसआरके राजस्थान आयुर्वेद विवि जोधपुर