अमित दवे
जोधपुर . राजस्थान में किसानों की मसाला उत्पादन के प्रति रुझान व अच्छी गुणवत्ता के मसाला उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए राजस्थान का पहला मसाला पार्क जोधपुर के रामपुरा भाटियान गांव में स्थापित हुआ था। सरकार का उद्देश्य किसानों द्वारा उत्पादित मसाला फसलों का प्रसंस्करण कर फसल का सही मूल्य प्राप्त करने में मदद करने का था। इसके लिए, राज्य सरकार ने भारत सरकार के मसाला बोर्ड को इसके लिए 60 एकड़ जमीन निशुल्क उपलब्ध करवाई थी। हकीकत यह है कि जिस मंशा के साथ किसानों, व्यापारियों व निर्यातकों की सुविधा के लिए यह मसाला पार्क स्थापित किया गया, वह मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है। वर्तमान में, करोड़ों की लागत से बना मसाला पार्क धूल फांक रहा है और पूरी तरह से बसने से पहले ही उजडऩे लग गया है।
पीपीपी मोड पर देश का पहला मसाला पार्क जोधपुर के तिंवरी तहसील के रामपुरा भाटिया में करीब 27 करोड़ लागत से बने मसाला पार्क का उद्घाटन 7 अप्रेल 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व तत्कालीन केन्द्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने किया था। राजस्थान का पहला मसाला पार्क होने के साथ ही, यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी ) आधार पर देश का पहला मसाला पार्क है। मसालों की सफाई से पैकिंग तक सुविधा मसाला पार्क में जीरा, धनिया, मैथी, पुदीना, लहसुन जैसी प्रमुख मसाला फ सलों की सफाई, ग्रेडिंग, कलर शॉर्टिंग, ग्राइंडिंग व पैकिंग, मसाला स्टरलाइजेशन, 50 मीट्रिक टन का धर्मकांटा, होलसेल व उपभोक्ताओं तक सीधी मार्केटिंग सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए पैकिंग इकाइयां भी स्थापित की गई।
25 प्लॉट में से 3 प्लॉट पर ही कार्य
मसाला बोर्ड में मसाला फसलों के प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों को 25 प्लॉट आबंटित किए गए। इनमें वर्तमान में केवल 3 प्लॉट में निर्माण कार्य होकर मसाला फसलों का प्रसंस्करण किया जा रहा है। इनमें एक में लहसुन प्रोसेसिंग, दूसरी में पुदीना प्रोसेसिंग व तीसरी में लहसुन पेस्ट का कार्य हो रहा है। जबकि शेष 23 आवंटित प्लॉटों का निर्माण कार्य ही नहीं हुआ। मसाला पार्क में 6 वेयर हाउस भी है। स्पाइस पार्क अधिकारियों की ओर से आवंटी उद्यमियों द्वारा लंबे समय से निर्माण कार्य नहीं करने पर भी उनका आवंटन रद्द कर नए उद्यमियों के लिए आवंटन की व्यवस्था भी नहीं की जा रही है।
कोच्चि में मुख्यालय दिक्कत, राज्य एजेंसी को दिया जाए स्पाइस बोर्ड के अफसरों की अनदेखी व उदासीनता की वजह से मसाला पार्क का उद्घाटन के 6 साल बाद भी सुनियोजित व सुव्यस्थित विकास नहीं हो पाया। मसाला पार्क में ऑफिस होने के बावजूद, अधिकारी-कर्मचारी बड़ा किराया देकर किराए के ऑफिस में कार्य कर रहे है। यहां आवंटित प्लॉटों का विकास, पानी-बिजली की सुव्यवस्था तक नहीं है। इसका मुख्यालय कोच्चि में होने की वजह से आवंटी उद्यमियों को आए दिन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर में नियुक्त अधिकारी-कर्मचारी मसााल पार्क के विकास, आवंंटियों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। इस पार्क के विकास के लिए इसको राज्य सरकार या राज्य सरकार की किसी एजेंसी को दिया जाना जरूरी है। हरीराम गहलोत, आवंटी उद्यमी —