भद्रा का निवास पाताल लोक में ज्योतिष्यो के अनुसार इस बार भद्रा का निवास पृथ्वी लोक में नहीं होकर पाताल लोक में है। अतः भूलोक पर इसका इतना प्रभाव नहीं रहेगा। रक्षाबंधन पर घटित होने वाली भद्रा वृश्चिकी भद्रा है। सर्पिणी भद्रा नहीं होने से इसके मुख में रक्षाबंधन मनाया जा सकता है क्योंकि बिच्छू के पुंछ में विष होता है। अतः वृश्चिकी भद्रा की पूछ त्याज्य है। यद्यपि शास्त्रानुसार 11 अगस्त को रात्रि 8:50 के बाद भद्रोत्तरम ( भद्रा के उपरांत) राखी बांधी जाना अधिक उपयुक्त है। जयोतिष अनीष व्यास ने बताया कि विशेष परिस्थिति में शाम 6:08 से रात्रि 8:00 बजे तक भद्रा मुख में राखी बांधी जा सकती है।भद्रा रात 8.50 बजे खत्म होगी। इसके बाद ही रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। इस दिन रात में 8.50 बजे से 9.55 बजे तक चर का चौघड़िया रहेगा। इस समय में रक्षा सूत्र बांधना ज्यादा शुभ रहेगा।
रक्षा बंधन पर ग्रहों की स्थिति रक्षा बंधन पर गुरु मीन राशि में वक्री रहेगा। चंद्र शनि के साथ मकर राशि में रहेगा। इन ग्रहों की युति से विष योग बनता है। गुरु की दृष्टि सूर्य पर रहेगी, सूर्य की शनि पर एवं शनि की गुरु पर दृष्टि रहेगी। ग्रहों के इन योगों में हमें अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए। छोटी सी लापरवाही भी नुकसान करा सकती है।
रक्षाबंधन तिथि पूर्णिमा तिथि आरंभ- 11 अगस्त, सुबह 10:58 मिनट से पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7:05 मिनट पर रक्षाबंधन भद्रा काल का समय रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति- रात 08:51 मिनट पर
रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त को शाम 05:17 मिनट से 06:18 मिनट तक रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06:08 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक रक्षाबंधन पर शुभ योग
आयुष्मान योग- 10 अगस्त को शाम 7.35 से 11 अगस्त को दोपहर 3.31 तक रवि योग- 11 अगस्त को सुबह 5.30 से 6.53 तक शोभन योग- 11 अगस्त को 3.32 से 12 अगस्त को 11.33 तक
राखी बांधते समय मंत्र येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।