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विजयदान देथा बिज्जी की नौ कहानियों पर बन रहीं लघु फिल्में

मशहूर साहित्यकार विजयदान देथा बिज्जी की कहानियों पर पांच लघु फिल्में बन कर तैयार हैं व चार और लघु फिल्मों का निर्माण जारी है।  

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जोधपुर

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MI Zahir

May 22, 2018

Vijaydan Detha Bijji

Vijaydan Detha Bijji

जोधप़ुर. साहित्य प्रेमी लोगों के लिए खुशखबरी है। नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित रहे बातां री फुलवाड़ी फेम जाने माने साहित्यकार पदमश्री विजयदान देथा बिज्जी की कहानियों पर 9 लघु फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है।

सबल प्रोडक्शन्स के तहत निर्माता महेंद्र विजयदान देथा ने पद्मश्री विजयदान देथा की कहानियों पर पहले दौर में पांच लघु फिल्में बनाई हैं, जो प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। वहीं चार और कहानियों पर लघु फिल्में बनने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इन नौ लघु कहानियों के माध्यम से पद्मश्री विजयदान देथा के साहित्य को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।

मुम्बई के मड आईलैण्ड में शूट की गई पदमश्री देथा लिखित पुश्तैनी तलवार, खुशी का पश्चाताप, हवाई झगड़ा, मैं पड़ी चूल्हे में और मूंछ -मूंछ का अंतर लघु फिल्मों का निर्देशन आकांक्षा गोस्वामी व छायांकन राजखिलानी ने किया है। पटकथा व संवाद अंजनी श्रीवास्तव के हैं।
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जून में होगा प्रीमियर
निर्माता महेंद्र देथा ने बताया कि दूसरे दौर की शूटिंग शुरू कर दी गई है, जिसमें ये गांव के गंवार लोग और जीभ का रस टपके अभी पूरी होने कगार पर हैं। ये लघु फिल्में हिन्दी भाषा में बनी हैं, लेकिन परिवेश, संस्कृति व पृष्ठभूमि राजस्थान की ही है। वहीं 21 मई से फिल्मसिटी में देथा की दो कहानियों मंूजी शूरमा व आशा अमर धन का निर्माण शुरू किया जाएगा। इन सभी नौ फिल्मों का जून के प्रथम सप्ताह में मुम्बई में प्रीमियर होगा।

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अधिक लोगों तक पहुंच सके

पद़मश्री विजयदान देथा बिज्जी की कहानियों पर लघु फिल्में बनाकर नया मंच प्रदान किया जा रहा है, ताकि उनका अधिक से अधिक साहित्य लोगों तक पहुंच सके।

- महेन्द्र देथा, निर्माता, सबल प्रोडक्शन्स
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विजयदान देथा बिज्जी : जीवन वृत्त
जन्म : १ सितम्बर, १९२६, बोरुंदा, जोधपुरशिक्षा : जोधपुर के जसवंत कॉलेज से १९४९ में एम. ए. प्रथम वर्ष

हिन्दी प्रकाशन उषा : हिन्दी काव्य संग्रह 1947 सूर्योदय व संध्या का चित्रण, साहित्य-सदन, जोधपुर ज्वाला साप्ताहिक जोधपुर में छदम नाम से नियमित तीन स्तम्भ-दोजख की सैर,घनश्याम पर्दागिराओं और हम सभी मानव हैं। सन १९४९ से ५२ तक ज्वाला, आग,अंगारे व रियासती साप्ताहिक, जोधपुर में अबाध लेखन।

बापू के तीन हत्यारे: समीक्षा-सुमित्रानंदन पंत, हरिवंशराय बच्चन वनरेन्द्र शर्मा के क्रमश: काव्य- संग्रह-सूत की माला, खादी के फूल और रक्त चंदन-महात्मा गांधी की हत्या के तत्काल बाद ही प्रकाशित इन पुस्तकों की निर्भीक आलोचना, १९४८ कुबेर प्रकाशन, जोधपुर।साहित्य और समाज: आलोचनात्मक निबन्ध।

परम्परा व रूपम में प्रकाशित लेखों का संग्रह, चौपासनी शोध संस्थान,जोधपुर, १९५९

राजस्थानी लोक गीत : ६ भाग, १९५८, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर
वाणी : राजस्थानी भाषा की मासिक पत्रिका, १९६० से १९६७.

लोक संस्कृति : राजस्थानी-हिन्दी मासिक पत्रिका, १९६८ से १९७८ रूपायन संस्थान
के नाम से लोक-सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना, १९६० से निरंतर।बातां री फुलवारी : कुल १३ भाग, दीवाली १९६० से, १९७६, रूपायन संस्थान, बोरुंदा।
तीडौराव: राजस्थानी की पहली पॉकेट बुक, रूपायन संस्थान, बोरुंदा, दीवाली १९६५.अनोखा पेड़ : बाल-कथाएं सचित्र, हिन्दी, १९६८, रूपायन संस्थान,बोरुंदा।
रूंख: साहित्य की विभिन्न विधाओं का मनपसंद वृहत संकलन,वाणीपुरम, बोरुंदा १९८७ दुविधा व अन्य कहानियां : राजकमल प्रकाशन १९७९, दूसरा संस्करण, सारांश प्रकाशन दिल्ली, १९९५

उलझन : कहानी संग्रह, राजकमल प्रकाशन १९८२, दूसरा संस्करण, सारांश प्रकाशन, दिल्ली १९९६ फुलवाड़ी भाग १० हिन्दी अनुवाद, साहित्य अकादमी, रवीन्द्र भवन, नयी दिल्ली, १९९२. कब्बूरानी : बाल कथाएं, प्रकाशन विभाग, पटियाला हाउस, नई दिल्ली, १९९२. कलम रौ उस्ताद : सम्पादन, स्व. गणेशीलाल व्यास उस्ताद की राजस्थानी कविताएं साहित्य अकादमी दिल्ली, १९८४हमारा उस्ताद : समीक्षा, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर १९८७
अलेखूं हिटलर : राजस्थानी कहानी संग्रह, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली

समकालीन भारतीय साहित्य : अंक ४५-४६ अतिथि सम्पादक, साहित्य अकादमी, दिल्ली
दि डिलेमा एण्ड अदर स्टोरीज: अनुरूथ वनीता, मानुषि प्रकाशन, दिल्ली १९९६चौधराइन की चतुराई : हिन्दी कहानी संग्रह : सायर प्रकाशन, बोरुंदा, १९९७

सपनप्रिया : भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली १९९८
़उजाले के मुसाहिब : भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली २०००

अंतराल : हिन्दी कहानी संग्रह, जनवाणी प्रकाशन, दिल्ली १९९८
महामिलन : हिन्दी उपन्यास, जनवाणी प्रकाशन, दिल्ली, १९९८

प्रिय मृणाल हिन्दी कहानी संग्रह, जनवाणी प्रकाशन, दिल्ली १९९८

मेरो दरद न जाने कोय : हिन्दी निबन्ध व आलेख, जनवाणी प्रकाशन दिल्ली १९९८
प्रेमचंद की बस्ती : आलोचना व सम्पादन। लोक कला मर्मज्ञ कोमल कोठारी व प्रयागराज मेहता के साथ सह-लेखन।

जनवाणी प्रकाशन, दिल्ली १९९८
फ़ुलवाड़ी भाग १० : बंगाली, गुजराती, उडिय़ा व उर्दू अनुवाद, साहित्य अकादमी, दिल्ली, २००१.ऱाजस्थानी-हिन्दी कहावत-कोश, ८ भागों में सम्पूर्ण, कुल पृष्ठ ५५००, हिन्दी अर्थ व सांगोपांग व्याख्या सहित, ३३३

सन्दर्भ कथाएं, सबल प्रकाशन, बोरुंदा : २००१प्रतिशोध : उपन्यास, हिन्दी
अनुवादक कैलाश कबीर, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, २००२गीतों की फुलवाड़ी राजस्थानी लोकगीतों का संग्रह, हिन्दी अनुवाद, कैलाश कबीर, साहित्य अकादमी दिल्ली, २००३

अब आगे क्या ? महामहिम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम खुला पत्र, रूपायन संस्थान, बोरुंदा २००५
लोक-संस्कृति : राजस्थानी मासिक पत्रिका का पुनप्र्रकाशन, संपादक

विजयदान देथा, रूपायन संस्थान, बोरुंदा, मई २००५ से निधन तक।

फिल्म व नाटक
विजयदान देथा की दर्जनों कहानियों पर टीवी फि ल्में और धारावाहिक बने हैं, जिन में शांति चौधरी निर्मित छह फिल्में प्रमुख हैं। साथ ही कई जाने-माने फिल्मकारों ने देथा की कहानियों पर फिल्में बनाईं, जो इस प्रकार हैं । दुविधा : जोधपुर मूल के निदेशक-मणिकौल, १९७३
चरणदास चोर : निर्देशक-श्याम बेनेगल, १९७३.परिणति: निदेशक-प्रकाश झा, १९८९

साहित्य अकादमी, रविन्द्र भवन दिल्ली ने ' बिज्जीÓ के नाम से आधे घंटे की फिल्म बनाई, जहां पुरस्कृत लेखकों पर फिल्म बनाने का प्रावधान है। निदेशक : उदयप्रकाश, २०००.़ हिन्दी फिल्म पहेली : बिज्जी की कहानी दुविधाÓ पर आधारित। निर्देशक अमोल पालेकर, मास्टर अभिनेता शाहरुख की रेड-चिली एंटरटनमेंट कम्पनी से २४ जून, २००५ को भारत के अलावा अमरीका,इंग्लैण्ड, यूरोप व अरेबियन देशों में प्रसारित। दोहरी जिन्दगी : निर्देशक अमोल पालेकर (प्रस्तावित)। देथा की दर्जनों कहानियों पर देश के विभिन्न शहरों में नाट्य-रूपान्तरण भी मंचित हुए हैं। इन में नाटककार हबीब तनवीर निर्देशित 'चरणदास चोरÓ को देश-विदेश में बहुत सराहा गया। अहमदाबाद सेटेलाइट व दिल्ली दूरदर्शन केन्द्रों से उन पर दर्जन से अधिक आधे-आधे घंटे के लघु चलचित्र बने हैं।

विशिष्ट मुलाकात : राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के साथ, डिफेंस एयरपोर्ट, जोधपुर- १५ मई,२००५

पुरस्कार व सम्मान साहित्य अकादमी, रविन्द्र भवन, नई दिल्ली, १९७४।
बातां री फु लवाड़ी भाग-१० पर राजस्थानी का पहला पुरस्कार। उल्लेखनीय पुरस्कार : भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता १९९०, नाहर पुरस्कार, मुम्बई १९९५

राजस्थानी श्री, जयपुर , १९७७, राजस्थान रा रतन, अजमेर १९८०, दी ग्रेट सन ऑफ राजस्थान, ऑल इण्डिया कॉफ्रेंस ऑफ इंटेलेक्चुअल्स, १९९५.मरुधरा, कोलकाता, १९९६ दीपचन्द जैन साहित्य पुरस्कार दिल्ली २००१

एमरेटस फैलोशिप, आकाशवाणी, दूरदर्शन १९९२.एमरेट्स फैलोशिप, साहित्य १९९६
बिहारी पुरस्कार, के.के. बिड़ला फाउण्डेशन दिल्ली से प्रदत्त, २००२. साहित्य अकादमी फैलोशिप, साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के हाथों प्रदत्त २००४महाराणा कुम्भा पुरस्कार : महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन, उदयपुर २००५

महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन का सर्वोच्च पुरस्कार, २००६

भारत सरकार से पदमश्री पुरस्कार २००७
कोरिया की राजदूत किम यून-ओक, के हाथों सन २०१० में टैगोर साहित्य

पुरस्कार कवि काग पुरस्कार गुजरात २०११

विदेश-यात्रा एम्स्टर्डम, बैल्जियम, पेरिस, हम्बर्ग, १९७८ और फ्रेंकफर्ट, हेडलवर्ग, सितम्बर, १९८३
मॉस्को, लेनिनग्राड १९९१, चीन, नवम्बर, १९९१
विश्व हिन्दी सम्मेलन : सूरीनाम, २००३
उपन्यास नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित

राव सीहा अवार्ड
निधन : १० नवंबर २०१३
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