
Zahoor khan Mehar
जहूर खां मेहर को इतिहास पुरोधा और तबस्सुम रहमानी को शाने-अदब सम्मान
जोधपुर .
राजस्थानी भाषा के प्रख्यात साहित्यकार और इतिहासकार प्रो. जहूर खां मेहर ने कहा कि शब्दों का सही चुनाव रचना विधा को सशक्त बनाता है, राजस्थानी एक समृद्ध भाषा है जिसमें प्रत्येक कार्य के लिए एकल शब्द विदित है। अत: राजस्थानी की मठोठ में अक्षरों की प्रगाढ़ता निहित है। प्रो. मेहर ने साहित्यकार मंच की ओर से सिवांची गेट स्थित स्वामी कृष्णानन्द सभागार में आयोजित समारोह के दौरान इतिहास पुरोधा सम्मान व अभिनन्दन के समय बतौर लाइफ टाइम इतिहास विश्लेषक व चिन्तक यह विचार व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि ऊंट के लिए 130 शब्दों के पर्याय केवल राजस्थानी में ही पाये जाते हैं। जबकि इसके कई शब्दों का तो अनुवाद ही असम्भव है। यजमान का जजमान होना वैदिक संस्कृति के बाद केवल राजस्थानी में ही मिलता है। खमा शब्द में ख़ैरियत और अमन शामिल है, तामझाम शब्द फ ारस से राजस्थानी में आया...।
शाने-अदब सम्मान
साहित्यकार मंच के संयोजक राष्ट्रीय कवि दिनेश सिन्दल ने बताया कि वरिष्ठ साहित्यकार मारवाड़ रत्न श्यामसुन्दर भारती की अध्यक्षता में आयोजित अभिनन्दन समारोह में जयपुर निवासी वरिष्ठ शाइर तबस्सुम रहमानी अशरफ ी की उर्दू अदब के लिए दी गई खि़दमात के लिए शाने-अदब सम्मान प्रदान किया गया। एम. एस.ज़ई ने तबस्सुम रहमानी और वाजिद हसन क़ाज़ी ने प्रो.मेहर का परिचय प्रस्तुत किया। अभिनन्दन में शॉल, साफ ा, माला व सम्मान पत्र के साथ उनकी शान में आज़ाद के दस दोहे प्रो.मेहर व दस रहमानी को भेंट किए गए। इस अवसर पर प्रो.मेहर की धर्मपत्नी सईदा का चान्दकौर जोशी व डॉ.पद्मजा शर्मा ने माला व शॉल से अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में डॉ. हरीदास व्यास, हबीब कैफ ी, डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय, डॉ.सोनाराम व्यिनाई, मीठेश निर्मोही, हरिप्रकाश राठी, मारवाड़ रत्न सत्येन व्यास सहित कई साहित्यकार, रंगकर्मी व शिक्षाविद् उपस्थित थे। अंत में कमलेश तिवारी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मजाहिर सुल्तान जई ने किया।
Published on:
12 May 2018 10:43 pm
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