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पिछड़े वर्ग का चेहरा बन रही कमसा मेघवाल, भोपालगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सीट बचाने चुनावी मैदान में उतरी

परिसीमन से पहले यहां के चुनाव में 1967 के अपवाद को छोड़ दोनों दल जाट उम्मीदवार ही मैदान में उतारते आए हैं।

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विधानसभा क्षेत्र से कमसा मेघवाल को फिर से टिकट मिलना लगभग तय था। परिसीमन के बाद 2008 में बदले परिदृश्य के बाद से दोनों बार कमसा मेघवाल ही चुनाव जीतती आई है। वे तीसरी बार अपनी सीट बचाने की चुनौती के साथ चुनाव मैदान में उतरी हैं। परिसीमन से पहले यहां के चुनाव में 1967 के अपवाद को छोड़ दोनों दल जाट उम्मीदवार ही मैदान में उतारते आए हैं। 1967 में रामसिंह विश्नोई स्वतंत्र पार्टी से परसराम मदेरणा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे मगर हार गए। बाद में 1972 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। भोपालगढ़ परसराम मदेरणा की राजनीतिक कर्मभूमि माना जाता रहा है। परिसीमन से पहले यहां हुए 9 चुनावों में 6 बार परसराम मदेरणा ही चुनाव जीते थे।

- सीट-एससी
- उम्र-50
- पेशा-राजनीति
- प्रदेश में राजनीतिक आका-वसुंधरा राजे, रामनारायण डूडी

पटाखे छोड़ खुशियां मनाई

टिकट की घोषणा के साथ ही उनके घर व बाहर पटाखे छोडकऱ खुशियां मनाई गई। लोगों ने फोन पर भी बधाइयां दी। जीत के प्रति वे भी आश्वस्त नजर आई।


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