यूनाइटेड अरब अमीरात में विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी व मजदूरी कर रहे हिंदुस्तान के राजपूत समाज के लोगों ने दुबई राजपूत समाज संगठन के माध्यम से रक्तदान शिविर करने का बीड़ा उठाया। हाल ही में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ के वीर सपूत शहीद राजेन्द्रसिंह भाटी व देश के महापुरुषों की याद में दुबई के लतीफा हॉस्पिटल में शुक्रवार को रक्तदान शिविर लगाया गया।
विदेशी धरती पर आयोजित रक्तदान शिविर में वीरों की धरा शेरगढ़ के युवाओं ने रक्तदान किया। शिविर में राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश सहित देशभर के कई राज्यों के राजपूत युवा शामिल हुए।
आयोजन समिति के सदस्य खेतसिंह भाटी टेकरा ने बताया कि शिविर में करीब 700 युवा शामिल हुए, जिनमें से 500 युवाओं का रक्तदान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया गया। लेकिन अस्पताल की क्षमता के अनुरूप 230 यूनिट रक्तदान कर एक प्रेरणादायी मिसाल कायम की।
टेकरा ने बताया कि संगठन दुबई राजपूत समाज सभी 36 कौम के लिए कार्य करता है। विदेशी धरती पर काम करने आने वाले लोगों की सामाजिक व आर्थिक रूप से मदद करता है। दिग्विजयसिंह वाघेला ने बताया कि वसुधेव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर रक्तदान शिविर दुबई में विभिन्न हादसों में घायल व अन्य मरीजों के लिए जीवनदायी होगा।
युवाओं ने किया रक्तदान शेरगढ़ क्षेत्र से दुबई में हॉर्स राइडिंग में नौकरी कर रहे करीब सौ युवाओं ने शिविर में जोश व जज्बा दिखाया। भोमसिंह गड़ा ने बताया कि लोगों में रक्तदान को लेकर काफी उत्साह नजर आया। अमरीका में नौकरी कर रहे नागौर के कुलदीपसिंह राठौड़ ने भी दुबई आकर रक्तदान किया।
दुबई के नागरिकों ने इस रक्तदान को ऐतिहासिक बताते हुए भारतीयों का अभिनन्दन किया। वहां के नागरिकों ने बताया कि दूसरे राष्ट्र के लिए भारत के युवाओं द्वारा इतनी बड़ी संख्या में रक्तदान करना अपूर्व क्षण था। रक्तदान में बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को देखकर एकबारगी चिकित्सक भी अचंभित रह गए।
शहीद राजेन्द्रसिंह को दी पुष्पांजलि रक्तदान कार्यक्रम से पूर्व लोगों ने मोहनगढ़ के वीर सपूत शहीद राजेन्द्र सिंह भाटी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। शहीद भाटी की याद में जिंदाबाद के नारे लगाए। शिविर में लखनपालसिंह भंवरानी, हरेन्द्रसिंह मथुरा, खेतसिंह टेकरा, दिग्विजयसिंह अहमदाबाद, प्रेमसिंह शेखावत, भोमसिंह गड़ा, प्रेमसिंह बालेसर, विक्रमसिंह परमार, चैनसिंह सेतरावा, प्रभुसिंह खिरजां, प्रदीपसिंह बीका, ईश्वरसिंह गोपालसर, जब्बरसिंह राठौड़ केतु आदि मौजूद रहे।