इतनी मौतों के बाद भी कैसे मौन रह सकता है प्रशासन करीब चार हजार छात्रों को हर रोज हाई-वे से कॉलेज जाना पड़ता हैं। रोड पर न तो बस स्टॉप हैं, न ही स्पीड ब्रेकर हैं। एनएच विभाग पहले तो नियमों को हवाला देकर स्पीड ब्रेकर बनाने से मना करता रहा और अब कह रहे हैं कि किसी ने शिकायत नहीं की। छात्रों की सुरक्षा का लेकर एनएच विभाग व प्रशासन मौन कैसे रह सकता हैं।
सत्यवीर, एफडीडीआइ छात्र किसी के घर का चिराग न बुझे
सहपाठी छात्रा की मौत के बाद अब हम सड़क दुर्घटना में किसी ओर के घर का चिराग नहीं बुझने देंगे। हादसे के दो दिन बाद बैरियर नहीं लगे तो हमने पुलिस की मदद से 1 किलोमीटर दूर लगे बैरियर को कॉलेज के सामने लगाया। अब भी प्रशासन नहीं जागा तो हम सड़कों पर धरना देंगे लेकिन हाई-वे को सुरक्षित नहीं बनाने तक हार नहीं मानेंगे।
इमरोज आलम, एफडीडीआइ छात्र हाई-वे पर अंधेरे में महिलाओं का निकलना मुश्किल रोड लाइट नहीं होने के कारण क्षेत्र में रहने वाली महिलाए और छात्राएं रात को अकेले में रोड से नहीं निकल पाती। क्षेत्राविसयों ने रोड पर जब बैरियर लगाने की मांग की तो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रोड लाइट नहीं होने के कारण वे बैरियर नहीं लगा सकते। अंधेरे में कई वाहन चालकों के बैरियर से टकरा कर हादसा होने की संभवाना होती है। पिछले एक साल से रोड लाइट लगाने के लिए जेडीए, एनएच विभाग में कई बार शिकायत कर चुके हैं।
निर्मल सिंह कच्छावाह , क्षेत्रवासी संपर्क पोर्टल, एनएच प्रधानमंत्री को की शिकायतें जांच में पिछले एक साल में संपर्क पोर्टल, एनएच से लेकर प्रधानमंत्री को शिकायत की लेकिन शिकायतों की जांच चलती रही और रोड पर एक दर्जन से ज्यादा एक्सीडेंट जोन बन गए। यहां हर माह सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत हो रही है। एनएच विभाग स्पीड ब्रेकर पर नियमों का हवाला देता रहा, रोड लाइट के लिए जेडीए में शिकायत की तो वे एनएच विभाग और ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट कमेटी से बात करने के लिए कहते रहें। इतने लोगों की मौत के जिम्मेदार सभी विभागों की उदासीनता हैं।
लक्ष्मण सिंह सोलंकी, क्षेत्रवासी