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चारागाह भूमि को नियमित करने की नीति को चुनौती

राजस्थान हाईकोर्ट

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चारागाह भूमि को नियमित करने की नीति को चुनौती

चारागाह भूमि को नियमित करने की नीति को चुनौती


जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने गोचर भूमि पर 35 वर्ष से पुराने आवासीय कब्जों को नियमित करने की नीति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य से जवाब तलब किया है।मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ में याचिकाकर्ता श्री राजस्थान गो सेवा समिति व अन्य की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राज्य सरकार ने एक तरफ कोर्ट में यह आश्वासन दिया था कि सार्वजनिक व गोचर भूमि पर अतिक्रमणों का नियमन नहीं किया जाएगा। उसके विपरीत राज्य सरकार ने पिछले साल 27 दिसंबर को चारागाह व गोचर भूमि पर 35 वर्ष से पुराने आवासीय कब्जों को नियमित करने की एक नीति लागू की है। जिसे सभी जिला कलेक्टरों को भिजवाते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया है। इस नीति में सरकार 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के आवासीय निर्माणो को नियमित करना चाहती है।

तत्कालीन डीसीपी लांबा को तलब करने की गुहार पर सुनवाई 18 को
-आसाराम प्रकरण
जोधपुर। नाबालिग से यौन शोषण के मामले में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पेश आसाराम बापू की अपील पर अब 18 जनवरी को सुनवाई होगी।
पिछली सुनवाई पर आसाराम की ओर से तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पश्चिम अजय पाल लांबा को साक्ष्य रिकॉर्डिंग के लिए तलब करने का प्रार्थना पत्र पेश किया गया था। राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रार्थना पत्र की प्रति पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी गई, लेकिन गुरुवार को उन्होंने बहस के लिए समय चाहा।
न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 18 जनवरी को मुक़र्रर की है।आसाराम की ओर से कहा गया कि तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पश्चिम अजय पाल लांबा ने जोधपुर में मामला दर्ज होने से पहले घटना स्थल का जायज़ा लेकर वीडियो बनाया था।इस मामले को लेकर लिखी गई किताब में उन्होने इसका जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस तथ्य का परीक्षण होना ज़रूरी है।


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