राष्ट्रपति कोविंद ने जगाई राजस्थानी को मान्यता मिलने की उम्मीद, कहा कोर्ट का निर्णय स्थानीय भाषा में हो प्रकाशित इस दौरान अपने उद्बोधन में सीजेआई बोबड़े ने कहा कि देश में हुई हाल की घटनाओं ने पुरानी बहस को नए जोश के साथ छेड़ दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि न्याय प्रणाली को आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए अपनी स्थिति, ढिलाई और अंतिम समय के प्रति दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय कभी भी आनन-फानन में किया नहीं जाना चाहिए।
सीएम अशोक गहलोत फिर से देने वाले हैं नई सौगात, न्यू हाईकोर्ट के पास देंगे लोअर कोर्ट के लिए जमीन यदि न्याय बदले की भावना से किया जाए तो अपना मूल चरित्र खो देता है। जस्टिस बोबड़े ने कहा कि न्याय कभी जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता है और इसे जल्दबाजी में किया भी नहीं जाना चाहिए। यदि न्याय बदले की भावना से किया जाता है तो अपना मूल स्वरूप खो देता है। न्याय को कभी भी बदले का रूप नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को खुद को सही करते रहना चाहिए।