जांच कर रहे सीआइडी सीबी के उपाधीक्षक पुष्पेन्द्रसिंह की अगुवाई में सुबह सात बजे सीन रिक्रिएट किया गया। मुठभेड़ में हिस्ट्रीशीटर और पुलिस के पास जो कारें थी उसी मॉडल की दूसरी कारें सीन रिक्रिएशन में काम ली गई।
डिगाड़ी फांटा पहुंचने पर डमी कारें हटा दी गईं। उनकी जगह बदमाशों की लग्जरी कार व पुलिस की निजी कार खड़ी की गई। वहीं, मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की कार की चपेट में आई मोटरसाइकिल को भी हू-ब-हू हालत में रख जांच की गई। एफएसएल ने बारी-बारी से दोनों कारों पर फायरिंग से बने निशानों की जांच की। लग्जरी कार की लोहे की चद्दर चीरकर निकली गोलियों के चालक के पास वाली सीट पर बैठे हिस्ट्रीशीटर की पसलियों में गोलियां लगने के संबंध में भी सबूत एकत्रित किए गए। तत्कालीन थानाधिकारी लीलाराम सीआइडी सीबी के उपाधीक्षक व एफएसएल को घटनाक्रम की जानकारी देते रहे।