कोविड-19 का बदला स्ट्रेन नए लक्षण के साथ सामने आया है। एक शोध के अनुसार 25 प्रतिशत मरीजों में नेगेटिव रिपोर्ट के बावजूद फेफड़ों में संक्रमण था। यानी वायरस गले में ठहरने की बजाय सीधा मुंह में उतर गया।
कुलपति प्रो. सिंह के अनुसारवर्तमान में बचाव पर अधिक जोर है। सभी को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी चाहिए। आयुर्वेद विवि में कोविड सेंटर बनने के बाद कुछ ऐसी दवाओं का परीक्षण किया जा सकेगा जो कोविड की प्रथम फेज में भी कारगर रही थी। अत्यधिक तनाव लेने के कारण भी लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। योगा, मेडिटेशिन सहित आयुर्वेद में कुछ दवाइयां ब्रेन को रिलेक्स करके कोराना से लडऩे में मदद करती है।
कोविड का बदला स्ट्रेन सीधा फैफड़ों पर आक्रमण कर रहा है। फैफड़े स्पंज की तरह होते हैं। इनके फैलने व संकुचित होने से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। कोराना वायरस संक्रमण से फैफड़ों में फाइब्रोसिस शुरू हो जाता है और कठोर होते जाते हैं। अधिक कठोर होने पर वेंटीलेटर से भी ऑक्सीजन फैफड़ों के अंदर भेजने की जगह नहीं बचती।
‘गिलोय की टेबलेट्स कोविड के दूसरे फेज में भी कारगर है। 500 मिलीग्राम की टेबलेट सुबह-शाम लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।’
-प्रो. अभिमन्यु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ एसआरआर आयुर्वेद विवि जोधपुर