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जोधपुर की 10 सीटों पर इन 5 बिंदुओं से समझें भाजपा-कांग्रेस के उम्मेदवारों के टिकट की इंजीनियरिंग

जिले की सभी दस विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार चुनावी रण में उतार दिए हैं।

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जोधपुर. जिले की सभी दस विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार चुनावी रण में उतार दिए हैं। भाजपा ने जहां एक साथ ‘कॉपी-पेस्ट’ वाली स्टाइल में सभी सीटों (जोधपुर शहर में कैलाश भंसाली की जगह उनके भतीजे अतुल भंसाली को) पर गत चुनाव के प्रत्याशी रिपीट कर दिए, वहीं कांग्रेस ने सरदारपुरा व आरक्षित सीट बिलाड़ा को छोड़ शेष आठ सीटों पर गहन मंथन के बाद अलग-अलग रणनीति से टिकट दिए हैं।

1. सोशल इंजीनियरिंग : सूरसागर सीट पर कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रत्याशी को उतारती आई है। लेकिन इस बार ब्राह्मण दावेदार ज्यादा आ रहे थे। फिर एक बार यहां सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला लागू किया और मुस्लिम प्रत्याशी प्रो. अयूब खां को टिकट दिया गया। इस सीट पर भाजपा ने पांच बार विधायक रह चुकी सूर्यकांता व्यास को मैदान में उतारा है।

2. वंशवाद/परिवारवाद : कांग्रेस ने तीन तो भाजपा ने एक सीट पर वंशवाद और परिवारवाद का सहारा लिया। भाजपा ने जहां शहर विधानसभा सीट से कैलाश भंसाली के भतीजे अतुल भंसाली को प्रत्याशी बनाया, वहीं कांग्रेस ने ओसियां, लूणी व शेरगढ़ में यही रणनीति अपनाई। ओसियां से मदेरणा परिवार की दिव्या मदेरणा, तो लूणी में विश्नोई परिवार के महेन्द्र विश्नोई को चुनावी रण में उतारा। शेरगढ़ में लगातार दो बार से पराजित उम्मेदसिंह का राहुल फार्मूले में टिकट काटा, लेकिन इसमें ‘पतली गली’ निकाल उनकी पत्नी मीना कंवर को टिकट दे दिया।

3. पहली बार बदली रणनीति : सरदारपुरा सीट पर परम्परागत तरीके से अशोक गहलोत एक बार फिर मैदान में उतरे हैं। इधर भाजपा ने पहली बार इस सीट पर अपनी रणनीति बदली। अब तक इस सीट पर भाजपा गहलोत को घेरने के लिए हर बार प्रत्याशी बदलती रही है, लेकिन इस बार गत चुनाव में हारे शंभूसिंह खेतासर को ही रिपीट कर दिया। साथ ही राजपूत जाति कार्ड भी खेला है। खेतासर ने अब तक तीन चुनाव लड़े हैं। दो बार विधानसभा व एक बार पाली से लोकसभा चुनाव। तीनों बार चुनाव हारे।

4. महिलाओं को तवज्जो : राहुल गांधी ने पिछले दिनों कोटा में कहा था कि उनका सपना है कि देश के आधे राज्यों में महिला मुख्यमंत्री हो और अधिक से अधिक महिलाओं को टिकट मिले। इसका असर जोधपुर जिले में स्पष्ट देखने को मिला है। यहां कांग्रेस ने पहली बार दस में से तीन सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया है। इनमें ओसियां से दिव्या मदेरणा, जोधपुर शहर से मनीषा पंवार व शेरगढ़ से मीना कंवर को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने सूरसागर से सूर्यकांता व्यास तो भोपालगढ़ से कमसा को टिकट दिया।

5. नए-पुराने चेहरे : भाजपा के अधिकतर चेहरे पुराने हैं। चुनाव लड़े हुए हैं। हारे व जीते हुए भी हैं। लेकिन कांग्रेस में अधिकतर चेहरे नए नजर आ रहे हैं। जोधपुर शहर, सूरसागर, लूणी, ओसियां, शेरगढ़, लोहावट और फलोदी से उतरे चेहरे नए हैं। केवल तीन सीटें सरदारपुरा से अशोक गहलोत, भोपालगढ़ से भंवर बलाई विधायक रहे हैं और तीसरे बिलाड़ा से हीराराम मेघवाल गत चुनाव लड़ चुके हैं।


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