ऐसे में एंटीबॉडी सिस्टम शरीर में कितने दिन तक डवलप रहा है, इस पर भी शोध की आवश्यकता बन गई है। इस केस के बाद जोधपुर में वर्तमान में अब तक डिस्चार्ज हो चुके 14 हजार मरीजों को संभले रहने की जरूरत है। क्योंकि दो से चार मामले अब तक ऐसे आ चुके हैं, जिनमें संक्रमितों में फिर लक्षण नजर आए हैं।
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया का कहना है कि पूर्व में जो एंटीबॉडी बनी थी, वह खत्म हो गई। इस कारण रिइंफेक्शन हो रहा है। ज्यादातर चिकित्सक पेशेंट को देखते हैं, इस कारण उनको अब ज्यादा खतरा रहेगा। जो लोग सोचकर बैठ गए कि उन्हें इम्यूनिटी मिल गई, ऐसे कुछ नहीं है। उन्हें सचेत व सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें वापस संक्रमण हो सकता है।