जोधपुर में जाते-जाते डायबिटीज रोगी बना रहा कोरोना वायरस
100 से ज्यादा संक्रमितों को हुआ मधुमेह
कोरोना का साइड इफेक्ट
ग्राउंड रिपोर्ट

अभिषेक बिस्सा
जोधपुर. कोरोना संक्रमित लोगों में ठीक होने के बाद भी कई साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। वजन घटने के साथ भूख न लगने, नींद न आने और कमजोरी महसूस होने जैसी समस्याओं के साथ कोरोना को हराकर लौटे कई मरीज मधुमेह रोगी भी बन रहे हैं। जोधपुर में ही संक्रमण को हराने वाले करीब एक सौ लोग डायबिटीज के शिकंजे में फंसे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग 35 साल से ज्यादा आयु के हैं।
चिकित्सकों के अनुसार कोरोना वायरस ने कई संक्रमितों के पेन्क्रियाज (अग्नाशय) पर हमला किया है। इससे ठीक हुए कई लोगों में डायबिटीज के लक्षण पहली बार नजर आए हैं। स्टॅराइड दवाओं के कारण शूगर लेवल बढऩे की बात भी सामने आई है। बिगड़ा अल्फा सेल्स व बीटा का चक्र
चिकित्सकों के अनुसार संक्रमण के कारण कई रोगियों के पेन्क्रियाज में बीटा और अल्फा सेल्स का साइकिल बिगड़ा है। बीटा सेल्स खून में जा रही शूगर को इंसुलिन व अल्फा सेल्स एंजाइम्स को ले जाते है।
केस-1
जोधपुर निवासी 60 वर्षीय महिला को डायबिटीज रोग नहीं था, लेकिन कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद उन्हें थोड़ी दूर चलने पर उन्हें थकान महसूस होने लगी। चिकित्सकीय परीक्षण में कोरोना के बाद उनमें मधुमेह रोग सामने आया, जबकि उनकी फैमेली हिस्ट्री में किसी को डायबिटीज नहीं थी।
केस-2
जोधपुर के ही 41 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना संक्रमण के कारण श्वास लेने में खासी दिक्कतें आई। अस्पताल में भर्ती कराया गया। ऑक्सीजन लेवल 89 के करीब था। उन्हें 11 दिन बाद छुट्टी मिली। करीब एक माह तक शरीर में थकान व घबराहट महसूस होती रही। चिकित्सकों को दिखाया तो उन्हें भी डायबिटीज निकली।
इनका कहना है...
ऐसे केस सामने आए हैं, जिनमें कोरोना के बाद डायबिटीज हो गई। इसमें कई दवाइयों का रोल रहा है। जो बॉर्डर लाइन डायबिटीज पर थे, उन्हें डायबिटीज हुई है। कोरोना से बॉडी में स्ट्रेश होता है, यह भी इसका एक कारण है।
- डॉ. नवीन किशोरिया,
सीनियर प्रोफेसर (मेडिसिन), डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर
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