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कोरोना से लड़ रही सबीना कहती रही आखिरी बार देख लो चेहरा, पत्नी के जाने के बाद रिश्तेदार भी होने लगे दूर

locationजोधपुरPublished: May 22, 2020 11:20:56 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

कोरोना कई परिवारों पर कहर बनकर ऐसा टूटा है कि इन लोगों ने अपनों को तो खोया ही, इनके प्रति आसपास के लोगों का व्यवाहर भी बदल गया। ऐसे ही एक बदनसीब इलेक्ट्रीशियन इमरान अपना दर्द बयां करते करते बिलख उठे।

coronavirus death in jodhpur human story in hindi

कोरोना से लड़ रही सबीना कहती रही आखिरी बार देख लो चेहरा, पत्नी के जाने के बाद रिश्तेदार भी होने लगे दूर

ओम टेलर/जोधपुर. कोरोना कई परिवारों पर कहर बनकर ऐसा टूटा है कि इन लोगों ने अपनों को तो खोया ही, इनके प्रति आसपास के लोगों का व्यवाहर भी बदल गया। ऐसे ही एक बदनसीब इलेक्ट्रीशियन इमरान अपना दर्द बयां करते करते बिलख उठे। आखलिया चौराहा पर रहने वाले इमरान की हमराह सबीना शादी के तीन साल बाद ही कोरोना की चपेट में आकर उसे अकेला छोड़ गई।
वह अपनी पत्नी का आखिरी बार चेहरा तक नहीं देख सका। पत्नी अस्पताल से बार-बार फोन करके कुड़ी स्थित क्वॉरेंटीन सेंटर से अपने पति को बुलाती रही। वह कहती मुझे डर लग रहा है। तबियत नहीं सुधर रही। लग रहा है मैं मर जाऊंगी, लेकिन इमरान को इजाजत नहीं मिली। दस दिन तक अस्पताल में मौत से जूझती सबीना 1 मई को आखिर जिंदगी की जंग हार गई।
इमरान वर्ष 2017 में मंदसौर से सबीना को ब्याह कर जोधपुर लाया था। सबीना को फेफड़ों की बीमारी थी। उसे बार-बार निमोनिया हो जाता। पहले उसका उदयपुर में इलाज चला। अभी कोरोना संक्रमण के बीच सबीना ने ठंडे पानी से स्नान कर लिया। बुखार होने के बाद तबीयत बिगडऩे लगी। इलाज के लिए उदयपुर ले जाना चाहते थे, लेकिन लॉकडाउन में इजाजत नहीं मिली। शहर के एक निजी अस्पताल में चार दिन इलाज चला।
हालात नहीं सुधरे तो 21 अप्रेल को मथुरादास माथुर अस्पताल रैफर कर दिया गया। जांच में उसे कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई तो परिवार जैसे बिखर गया। इमरान, साथ रहने वाले उसके भाई-भाभी और इनके तीन बच्चों को कुड़ी ले जाकर क्वॉरंटीन कर दिया गया। इधर, क्वॉरंटीन सेंटर से लगभग आठ किलोमीटर दूर अस्पताल में भर्ती सबीना की हालत बिगड़ती चली गई।
इमरान बताते हैं कि सबीना अस्पताल से फोन करके एक ही बात कहती, तुम यहां आ जाओ, मुझे डर लग रहा है। आखिर उसकी सांसें टूट गई तब भी मैं उसका चेहरा नहीं देख सका। यह कहते-कहते इमरान फफक पड़े। उन्हें इस बात का मलाल है कि सबीना चली गई। उसके परिवार में किसी और को कोरोना नहीं है। फिर भी अपने ही दूर होने लगे हैं। क्वॉरंटीन सेंटर से छूटकर घर आए तो कई बार ऐसा महसूस हुआ। हालांकि कुछ रिश्तेदारों ने मदद की। घर का सामान लाकर दिया, लेकिन कई अपने अब भी दूरी बनाए हुए हैं।
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