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कोरोना का कोहराम : वकीलों की आवाजाही सीमित करने के लिए हाईकोर्ट ई-मोड पर

अत्यावश्यक मामलों को सूचीबद्ध करवाने या लिखित बहस देने के लिए ईमेल व व्हाट्सएप नंबर जारी, राहत लायक मामलों में कोर्ट लिखित बहस के आधार पर पारित करेंगे निर्णय, गैर मौजूदगी में कोई विपरीत आदेश नहीं, अधिवक्ताओं को कोर्ट में हाजिर होने पर जोर नहीं देगा कोर्ट

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coronavirus effect seen at rajasthan highcourt

कोरोना का कोहराम : वकीलों की आवाजाही सीमित करने के लिए हाईकोर्ट ई-मोड पर

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर राज्य में धारा 144 लागू होने के बाद की स्थिति को देखते हुए अधिवक्ताओं की सीमित आवाजाही के लिए कई नए निर्देश अधिसूचित किए हैं। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति, मुख्यपीठ और जयपुर पीठ के न्यायाधीश, महाधिवक्ता, एडिशनल सॉजिलसिटर जनरल, बार कौंसिल और बार संघों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में समीक्षा बैठक में आए सुझावों के आधार पर नए निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार कोर्ट अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए जोर नहीं देगा। व्यापक जनहित में प्रतिदिन सुबह 10.30 से 12 बजे के बीच किसी अत्यावश्यक मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए लिखित निवेदन किया जा सकेगा, लेकिन इसके लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

हाईकोर्ट प्रशासन ने मुख्यपीठ और जयपुर पीठ के लिए ईमेल एड्रेस एवं व्हाट्सएप नंबर जारी करने के साथ-साथ हाईकोर्ट वेबसाइट पर भी अत्यावश्यक मामलों को मेंशन करने के लिए विकल्प दिया है। अधिवक्ता को मामले की लिखित बहस भी ईमेल से भेजने की छूट दी गई है, ताकि संबंधित कोर्ट उसके आधार पर मामले में अपेक्षित आदेश पारित कर सके। कोर्ट ने 20 से 31 मार्च तक सूचीबद्ध किए जाने वाले मामलों को स्थगित करते हुए उनमें अप्रैल महीने की तारीखें दी हैं।

अंतरिम राहत की अवधि बढ़ी हुई मानी जाएगी: हाईकोर्ट प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में अंतरिम राहत अग्रिम आदेश तक प्रभाव में है, उनकी अवधि अगली सुनवाई सुनिश्चित होने तक स्वत: बढ़ी हुई मानी जाएगी। नई याचिका, प्रार्थना पत्र, जवाब या अन्य दस्तावेज पेश करने के लिए फाइलिंग काउंटर पर केवल एक अधिवक्ता या क्लर्क को अनुमति प्रदान की जाएगी। जिन मामलों में अधिवक्ता ने अत्यावश्यक मामलों का लिखित मेंशन किया है या उनकी लिखित बहस दी है, उनमें चाही गई राहत पर विचार किया जाएगा या बिना कोई विपरीत आदेश पारित किए सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। यह निर्देश 31 मार्च या अग्रिम आदेशों तक लागू रहेंगे।

कार्मिकों की संख्या आधी की
हाईकोर्ट प्रशासन ने मुख्यपीठ तथा जयपुर पीठ में कार्यरत गैर राजपत्रित कार्मिकों की संख्या प्रत्येक कार्यदिवस पर 50 प्रतिशत तक कम करने के निर्देश दिए हैं। इन कार्मिकों को वैकल्पिक रूप से बारी-बारी कार्य का आवंटन किया जाएगा। यही आदेश अधीनस्थ अदालतों में भी लागू होंगे। अधीनस्थ अदालतों के पीठासीन अधिकारियों को केवल अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई दोपहर 2 से 4 बजे तक करने को कहा है।