बच्चों के लिए कोविड ज्यादा गंभीर नहीं रहा है, लेकिन संक्रमण का शिकार होने के चार-छह सप्ताह बाद कई बच्चे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी के शिकार हुए हैं। समय रहते बच्चे का इलाज शुरू हो जाए तो ये नुकसानदायी नहीं होता। जहां तक स्कूल खोलने की बात है, इससे पहले हर एंगल पर विचार-विमर्श होना चाहिए। पैरेंट्स, बच्चे और टीचर्स सभी को हरदम सतर्क तो रहना ही पड़ेगा।
– डॉ. कुलदीपसिंह, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, एम्स जोधपुर
कोरोना तो घर में बच्चों से ज्यादा बड़े ला सकते हैं। स्कूल खुलेंगे अच्छी बात हैं, बशर्ते कोविड प्रोटोकॉल की सख्ती से पालना हो। स्कूल का पूरा स्टाफ वैक्सीनेटेड होने के साथ सभी का एंटीबॉडी लेवल अच्छा होना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन और मास्क पर खास ध्यान देना होगा। बच्चों में पल्मोनरी डिजीज की संभावना कम होती है, इसी कारण कोरोना स्प्रेडर होता है।
– डॉ. अनुरागसिंह, वरिष्ठ आचार्य, शिशु रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
स्कूल खुलने के फैसले से बहुत खुश है, लेकिन कोरोना के नाम से मन में हताशा आ जाती है। स्कूल संचालकों को कोविड प्रोटोकॉल की पूरी पालना सुनिश्चित करनी चाहिए। स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। अब स्कूल खुलते हैं तो संचालकों को सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।
– संजय गज्जा, अभिभावक
स्कूल खुल रहे हैं, यह सुनकर अच्छा लग रहा है। अपने दोस्तों से मिलेंगे। हमें पढ़ाई का माहौल मिलेगा। ये हमारे लिए अच्छी बात है। मैं तो स्कूल खुशी-खुशी जाने को तैयार हूं। मम्मी-पापा कोरोना से डरते हैं, इस कारण हमें भी थोड़ा डर लगता है। वैसे मैं तो इतना नहीं डरता।
– कुशाग्र, छात्र