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अफसरों ने रिश्तेदारों के नाम बनाई क्रेडिट सोसायटियां, अब एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे अधिकारी

locationजोधपुरPublished: Oct 06, 2019 03:54:28 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

क्रेडिट सोसायटी संचालन में ‘मक्खन’ देखकर सहकारिता विभाग के जोधपुर जोन के किसी अफसर ने पद पर रहते हुए तो कुछ ने सेवानिवृत्ति के बाद सोसायटी का गठन किया। अधिकांश सोसायटियां अब भी संचालित हो रही हैं।

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अफसरों ने रिश्तेदारों के नाम बनाई क्रेडिट सोसायटियां, अब एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे अधिकारी

जोधपुर. क्रेडिट सोसायटी संचालन में ‘मक्खन’ देखकर सहकारिता विभाग के जोधपुर जोन के किसी अफसर ने पद पर रहते हुए तो कुछ ने सेवानिवृत्ति के बाद सोसायटी का गठन किया। अधिकांश सोसायटियां अब भी संचालित हो रही हैं। यही कारण है कि विभाग के इंस्पेक्टर अपने वरिष्ठ और समकक्ष कार्मिकों की सोसायटियों के विरुद्ध कार्रवाई करने से बचते रहे।
सिरोही में इंस्पेक्टर रहे गोपीकिशन त्रिवेदी ने सेवानिवृत्ति के बाद कृष्णा क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी खोली। पाली में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में वर्षों से पदस्थापित इंस्पेक्टर अचलसिंह चौहान की पत्नी वमिता सिंह और ससुर बंशीलाल के नाम से आनंद एजिया नाम से क्रेडिट सोसायटी खोली गई। इसका रजिस्ट्रेशन जोधपुर में हुआ। इस सोसायटी के विरुद्ध 2015 में शिकायतों की जांच जोधपुर डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा की गई। जांच प्रभावित करने के लिए जांच इंस्पेक्टर बदला गया। वर्तमान में आनंद एजिया के संचालक मण्डल में परिवर्तन कर दिया गया है।
जोधपुर से सेवानिवृत्त संयुक्त रजिस्ट्रार आरएस जोधा ने पत्नी के नाम से क्रेडिट सोसायटी खोली। इसका कार्यालय बीजेएस में है। पाली में इंस्पेक्टर किशोरीलाल मेवाड़ा के मामा ने बचत एवं साख समिति बनाई। इसका रजिस्ट्रेशन उप रजिस्ट्रार पाली की जगह संयुक्त रजिस्ट्रार जोधपुर ने किया। इनके अलावा जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालोर और सिरोही में कई कार्मिकों ने क्रेडिट सोसायटियों की बहती गंगा में हाथ धोने के लिए अपने नाते-रिश्तेदारों के मार्फत सोसायटी खोली।
रिफाइनरी की घोषणा के बाद बाड़मेर में बूम
बाड़मेर के पचपदरा में रिफाइनरी की घोषणा के बाद वहां जमीनों के भाव आसमान छूने लगे। वहां ग्रामीणों के हाथ में आई नगदी की लूट में सहकारिता विभाग के कई कार्मिक भी क्रेडिट सोसायटियों के जरिए शामिल हो गए। वर्ष 2010 के बाद बाड़मेर में कई सोसायटियों का गठन हुआ। जमीन बेचने से आए पैसों को आम जनता ने अच्छे रिटर्न के लालच में सोसायटियों में निवेश किया। अब वे पछता रहे हैं।
सरकार ने कहा- एफआइआर दर्ज कराओ, अफसर नहीं माने
वर्ष 2015 में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने राजस्थान में बैंकों की तरह व्यवसाय करने वाली क्रेडिट सोसायटी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया। लेकिन जोधपुर संभाग के छह जिलों के पदस्थापित उप रजिस्ट्रारों ने किसी सोसायटी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं करवाई। सहकारिता इंस्पेक्टर आंख मूंदकर जनता के पैसे डूबते देखते रहे। वर्ष 2017 से क्रेडिट सोसायटी के वार्षिक स्टेटमेंट व निरीक्षण के अधिकार उप रजिस्ट्रार के पास है लेकिन अधिकांश उप रजिस्ट्रार मौन बैठे हैं।
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