
Crpf Jawan Suicide Case: सीआरपीएफ के जवान नरेश जाट के आत्महत्या करने के मामले में परिजनों से शव उठाने से इनकार कर दिया है। अपनी मांगों को लेकर परिजन जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी पहुंचे और मृतक जवान के परिजन से मिलकर सांत्वना दी। बेनीवाल ने कहा कि देश की रक्षा करने वाले जवान ही सुरक्षित नहीं हैं। विभिन्न अर्द्ध सैन्य बलों में आए दिन आत्महत्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। नरेश जाट को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में सीआरपीएफ के आइजी और डीआइजी को हटाया जाए। मामले की उच्च स्तरीय जांच हो व दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
RLP सुप्रीमो ने कहा कि मांगों के लिए परिजन जो कहेंगे उसके हिसाब से आंदोलन किया जाएगा। हनुमान बेनीवाल ने धरनास्थल पर मृतक जवान नरेश के पिता लिखमाराम से पूरी जानकारी हासिल की। साथ ही आत्महत्या को दुष्प्रेरित करने के संबंध में दर्ज एफआइआर मंगवाई। सहायक पुलिस आयुक्त राजेन्द्र प्रसाद दिवाकर ने उन्हें कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। नरेश जाट ने स्वयं को गोली मारने से पहले दो वीडियो संदेश रिकॉर्ड किए थे, जिसमें आरटीसी के कई अधिकारियों पर झूठ बोलने और परेशान करने का आरोप लगाया है।
घटना के बाद पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव सीआरपीएफ को दे दिया गया था, जिसे मंगलवार को नरेश जाट के परिजनों को सुपुर्द करना था। जहां पाली स्थित उनके गांव में अंतिम संस्कार होना था। इससे पहले मृतक जवान नरेश जाट के पिता लिखमाराम की और से करवड़ थाना में दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। घटना के बाद लिखमाराम ने कहा था कि जब तक कार्रवाई नहीं हो जाती हम शव नहीं उठाएंगे। परिजनों की मांग है कि जिन अफसरों ने उसे टॉर्चर किया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
नरेश के पिता लिखमाराम ने मांग पत्र में नामजद अभियुक्तों की तुरंत गिरफ्तारी के साथ ही मामले की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के भूतपूर्व जज से करवाने की मांग की है। इसके अलावा मृतक की बेटी कनिष्का को बालिग होने पर सरकारी नौकरी और आजीवन शिक्षा की व्यवस्था हो। साथ ही पत्नी उर्मिला को आजीवन पेंशन, मृतक की नौकरी के हिसाब से ग्रेच्युटी, छुट्टी का पैसा आदि एक मुश्त दिया जाए। साथ ही उसके गांव में नरेश जाट की अंत्येष्टि से पहले उसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाए।
लिखमाराम कहते हैं अगर बेटा देश के लिए शहीद होता तो गर्व होता, लेकिन डिपार्टमेंट ने बेटे को इतना टॉर्चर किया कि उसको खुद को गोली मारनी पड़ी। अब इस बॉडी का वे क्या करें। आंखों में आंसू लिए लिखमाराम ने बताया कि वे रविवार रात 8:00 बजे आरटीसी पहुंच गए थे। दो घंटे बाद 10:00 बजे बेटे ने फोन बंद कर दिया इसलिए रात भर बाहर ही बैठे रहे। सुबह 8:00 बजे जब बेटे से वापस बात हुई तो उसने ऊपर बुलाया। नरेश अपनी बेटी कनिष्का को मुझे लेने के लिए नीचे भेज रहा था लेकिन क्वार्टर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया था। सीआरपीएफ जवानों को कहा तो उन्होंने बताया कि जब तक अधिकारी नहीं आएंगे तब तक दरवाजा नहीं खोला जाएगा। आईजी विक्रम सहगल 11 बजे पहुंचे। जैसे ही आईजी के पहुंचने का अनाउंस हुआ उसने खुद को गोली मार ली।
Updated on:
12 Jul 2022 04:31 pm
Published on:
12 Jul 2022 04:28 pm
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