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जोधपुर की सडक़ों पर चल रहे हैं तो हो जाइए सावधान, कहीं ये ब्लैक स्पॉट्स न बन जाए आपके लिए जानलेवा

locationजोधपुरPublished: Dec 20, 2018 02:35:49 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

ब्लैक स्पॉट को हर साल बनाते हैं ‘व्हाइट’, फिर भी टूट रही सांसों की डोर
 

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अविनाश केवलिया/जोधपुर. सडक़ों पर बढ़ते हादसों के स्पॉट को प्रतिवर्ष ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया जाता है। पुलिस के साथ सार्वजनिक निर्माण विभाग व एनएचएआइ मिलकर इन हादसों के ब्लैक स्पॉट को कम करने के प्रयास करते हैं। लेकिन अगले साल फिर से नए स्पॉट सामने आ जाते हैं। प्रति वर्ष जिले की सडक़ों पर औसत 4-5 ऐसे स्पॉट चिह्नित किए जाते हैं। जहां चार से पांच बड़े हादसे लोगों की जिंदगियां छीन लेते हैं। ब्लैक स्पॉट चिह्लित करने के बाद यह सूचियां संबंधित विभागों को भेजी जाती हैं। जिससे हादसे के कारणों को कम कर वहां की कमियों को दुरुस्त किया जाए। कई बार ऐसे ब्लैक स्पॉट की कमियों को दूर करने के लिए संबंधित विभाग बजट ही जारी नहीं करते। इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि यदि हर साल ब्लैक स्पॉट जिले की सडक़ों पर उजागर होते हैं तो रोड इंजीनियरिंग सवालों के घेरे में है। सवाल यह खड़ा होता है कि जिन कमियों को हादसों के बाद दूर किया जाता है उनको पहले ही सुधार कर सडक़ क्यों नहीं बनाई जाती।
ये हैं ब्लैक स्पॉट के कारण

– सडक़ों में असमान डिवाइडर होना।
– ब्लाइंड कर्व (अंधा मोड़ )
– सडक़ की सतह या स्लोब ठीक नहीं होना।
– मुख्य सडक़ पर अन्य सडक़ों की पासिंग ठीक न होना। एनएच पर यह पॉइंट
– पाली रोड पर कांकाणी के समीप एक ब्लैक स्पॉट
– पाली मंडिया गांव तिराहे पर ब्लैक स्पॉट
– जालोर जिले के सांचौर के निकट एक ब्लैक स्पॉट
– इन सभी पर सार्वजनिक निर्माण विभाग एनएच विंग की ओर से काम किया जा रहा है।
– जोधपुर के समीप रिंग रोड पर ब्लैक स्पॉट चिह्लित है। सडक़ चौड़ी करने के लिए इनको फिलहाल रोक कर रखा गया है।
दो में एक की मिली स्वीकृति

जिले की ग्रामीण सडक़ों में एक ब्लैक स्पॉट बावड़ी के निकट एवं एक पीपाड़ के निकट चिह्नित है। इनमें से एक स्पॉट की कमियां दूर करने की स्वीकृति मिली है। जबकि दूसरे ब्लैक स्पॉट की कमियों को दूर करने की सहमति नहीं मिली है।
ब्लैक स्पॉट पर औसतन मौतें
जो सूचियां विभागों को दी जाती हैं, उनमें एक ब्लैक स्पॉट पर करीब 5-7 एक ही प्रकार से हुए हादसों को शामिल किया जाता है। ऐसे में जिले में ये ब्लैक स्पॉट एक साल में औसतन 10-15 जिंदगियां निगल लेते हैं।
यह है हादसों का औसत
– 23 से 25 हजार हादसे एक साल में औसतन
– 65 से अधिक हादसे प्रदेश में प्रतिदिन
– 2 हादसे औसतन प्रतिदिन होते हैं प्रत्येक जिले में
– 4-5 ब्लैक स्पॉट प्रति वर्ष चिह्नित होते हैं
– 10-15 हादसे औसतन इन ब्लैक स्पॉट चिह्नित क्षेत्रों में होते हैं
इनका कहना…

हमें तीन ब्लैक स्पॉट बताए गए थे। इनमें से सभी पर काम चल रहा है। यह सूची हर साल मिलती रहती है। बजट मिलते ही इन कमियों को दूर करते हैं।
– जेठाराम जीनगर, अधीक्षण अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग एनएच विंग
हमारे अधीन सडक़ों में दो ब्लैक स्पॉट थे। इनमें से एक पर काम पूरा हो गया है। दूसरे की स्वीकृतियां नहीं मिली है।

– डी.एस चौहान, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी

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