ग्रेट इंडियनबस्टर्ड- स्थानीय भाषा में इसे गोडावण कहा जाता है। गोडावण राजस्थान का राज्य पक्षी है। यह पक्षी कई बार फलोदी के पास खारा-रामदेवरा की सरहद में देखे गए हंै,लेकिन अब इनकी घटती जनसंख्या व सिमटते आवासों के कारण गोडावण संकट में है।
गिद्ध-यहां सफेद पीठ व लोंग बिल्ड गिद्ध पाए जाते हैं, लेकिन गिद्ध के विद्युत लाइनों से करंट की चपेट में आने से मौत हो रही है।
चिंकारा-चिंकारा राजस्थान का राज्य पशु है। चिंकारा खेतों में लगी जालियों मेंफंसकर आवारा श्वानों का शिकार बन जाता है तथा जंगलों में पानी व भोजनकी तलाश ये सडक़ पर आकर दुर्घटनाओं में जान गवां देते है। साथ हीक्षेत्र में चिंकारा के शिकार भी इनके अस्तित्व पर खतरा बने हुए है।
मरू बिल्ली-जंगलों में चूहों की कमी होने व खेतों मेंबाड़ की जगह तारबंदी के होने से बिल्ली भी मुश्किल में है। चूहों कोरोडेन्टिशाइड से मार दिया जाता है।
डेजर्टमोनीटर लिजार्ड – मोनीटर लिजार्ड को गो भी कहा जाता है। गो फसलों को नुकसान पंहुचाने वाले कीटों को खाते है। खेती में यांत्रिकी के कारण इनके आवास नष्ट हो रहे हैं।
कोबरा-इसे काला सांप भी कहा जाता है तथा ये चूहों के बिल में रहते हैं। चूहों की कमी कारण इनका जीवन भी प्रभावित हुआ है। साथ ही सडक़ों पर आ जाने से सांप वाहनों की चपेट में आकर मर जाते हैं।
जनसंख्या वृद्धि के साथ बढ़ता शहरीकरण और खत्म हो रहे प्राकृतिक आवास। -खेती के तौर तरीकों में आए बदलाव।
-खेतों मेंबाड़ हटाकर तारबंदी करने। -कीटनाशकोंका अंधाधुंध उपयोग।
-प्राकृतिक जलस्रोतों की देखरेख में कमी।
-वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी। -शिकार। क्या कहते हैं वन्यजीव विशेषज्ञ
पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जाने वाले परम्परागत तरीकों को छोडक़र अपनाए जा रहे नए तरीकों से वन्यजीवों को खतरा है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्राकृतिक जलस्रोतों व वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण जरूरी है।
वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा है। जिसमें इंसान भी साथ रहता है। इस व्यवस्था में एक भी वन्यजीव का हट जाना पूरे खाद्यजाल को प्रभावित करता है और उसके नकारात्मक प्रभाव मिलते है। साथ ही खेती में यांत्रिकी के आने से वन्यजीव काफी प्रभावित हुए है।
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इनके आवासों को बचाना जरूरी है। साथ ही आमजन व सरकारी स्तर पर वन्यजीव संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरी है। डॉ. प्रतापङ्क्षसह, एसोसिएट प्राफेसर, डूंगरकॉलेज, बीकानेर