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Desert national park : सेंचुरी के दर्जे से आगे नहीं बढ़ पाया डेजर्ट नेशनल पार्क….जानें मुख्य वजह

पर्यावरणविदों ने कहा , बायोस्फीयर रिजर्व घोषित होने से बच सकते है दुर्लभ वन्यजीव और वन संपदा

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सेंचुरी के दर्जे से आगे नहीं बढ़ पाया डेजर्ट नेशनल पार्क....जानें मुख्य वजह

सेंचुरी के दर्जे से आगे नहीं बढ़ पाया डेजर्ट नेशनल पार्क....जानें मुख्य वजह

जोधपुर. थार में डेजर्ट नेशनल पार्क ( डीएनपी ) का लीगल स्टेटस दशकों बाद भी कागजों में एक सेंचुरी मात्र ही है। डीएनपी को बायोस्फियर रिजर्व बनाने के लिए जोधपुर के पर्यावरण विशेषज्ञों की ओर से सत्तर के दशक में कवायद शुरू की गई थी। वैज्ञानिकों की ओर से जो प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसे समेकित प्लान के साथ में डीपीआर के साथ वन विभाग सब्मिट नहीं कर पाया था नतीजा हमें मूर्त रूप में नहीं मिल सका। विशेषज्ञ लंबे अरसे से बायोस्फियर रिजर्व के कंसेप्ट को बेहतर विकल्प बता रहे हैं, लेकिन अब तक बने तमाम प्रस्ताव सरकारी फाइलों में ही दफन हैं।

अभी भी बायोस्फियर रिजर्व का स्कोप

1980 में बायोस्फियर रिजर्व रेगिस्तान के जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र में बनाया जाना था। भावना यह थी क्षेत्रीय लोगों को यही पर रखा जाए और बहुजैव-विविधता विकसित की जाए। वह कार्य जोधपुर के पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों ने तो कर दिया और केन्द्र सरकार भी तैयार थी लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने कोताही बरती और पश्चिमी राजस्थान में बायोस्फियर बन नहीं सका। अभी भी बायोस्फियर रिजर्व का स्कोप है। इससे बायोडायवर्सिटी बढ़ती है और इसका फायदा ग्रामीणों के साथ दुर्लभ वन्यजीव और वन संपदा बची रह सकती है। डॉ. एसएम मोहनोत, पर्यावरणविद जोधपुर

बायोस्फियर या कम्युनिटी रिजर्व घोषित हो

डेजर्ट नेशनल पार्क को बायोस्फियर रिजर्व अथवा कम्युनिटी रिजर्व घोषित करे। पार्क की बहुजैव-विविधता के संरक्षण में कम्युनिटी की भागीदारी भी बेहतर विकल्प है। बायोस्फियर रिजर्व की अवधारणा मानवीय आबादी और पशुओं की साझेदारी पर आधारित है। पार्क का क्षेत्रफल 3162 वर्ग किमी है जो एक बायोस्फियर रिजर्व के लिए जरूरी है। इस सूरत में छोटे - छोटे कोर एरिया बनाने पर ही हम राज्य-पक्षी सहित कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीवों को बचा पाएंगे। -डॉ. अनिल छंगाणी,पर्यावरण विशेषज्ञ

इसीलिए नहीं है डेजर्ट नेशनल पार्क

नेशनल पार्क के प्रावधानों के मुताबिक इनमें मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम होना चाहिए। लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र के डेजर्ट नेशनल पार्क में आबाद कई गांव-ढाणियां को हटाया जाना संभव नहीं होने से नेशनल पार्क का वैधानिक स्टेटस मिलना मुश्किल है। वर्तमान में यहां खेती व मवेशी चराई की अनुमति है जो नेशनल पार्क में संभव नहीं है। केन्द्र सरकार की ओर से तेल व गैस की खोज के लिए सर्वे भी प्रावधानों के विपरीत है।