थानाधिकारी सीताराम खोजा ने बताया कि बनाड़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ रविंद्र चौहान ने गत वर्ष सात जुलाई को संविदा लेखाकार दीप्ति शर्मा व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज कराया था। सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं को दो समय का नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2012 में शुरू कलेवा योजना शुरू की गई थी। बनाड़ अस्पताल में प्रसूताओं को भोजन कराने के लिए भोमियाजी स्वयं सहायता समूह को अधिकृत किया गया था। समूह को प्रतिदिन 70 रुपए प्रति प्रसूता दिया जाना था। वर्ष 2015 से यह दर बढ़ाकर 99.50 रुपए प्रति प्रसूता कर दिए गए थे, लेकिन फर्जी आदेश से वर्ष 2015 से 2019 तक 145 रुपए प्रति प्रसूता को भुगतान शुरू कर दिया गया था। चार साल तक 145 रुपए प्रति प्रसूता की दर से भोमियाजी समूह के खाते में जमा कराया गया था।
सीएचसी के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ ही स्वयं सहायता समूह ने वित्तीय अनियमितताएं की थी। जांच के बाद पुलिस ने भोमियाजी स्वयं सेवी संस्थान की संचालक बनाड़ निवासी पुष्पा पत्नी धर्मेन्द्र राणेजा व भाग्यश्री पत्नी सुरेश को गिरफ्तार किया गया। दोनों महिलाएं देवरानी व जेठानी हैं। आरोपियों को कोर्ट में पेश करने पर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।
सीएचसी के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ ही स्वयं सहायता समूह ने वित्तीय अनियमितताएं की थी। जांच के बाद पुलिस ने भोमियाजी स्वयं सेवी संस्थान की संचालक बनाड़ निवासी पुष्पा पत्नी धर्मेन्द्र राणेजा व भाग्यश्री पत्नी सुरेश को गिरफ्तार किया गया। दोनों महिलाएं देवरानी व जेठानी हैं। आरोपियों को कोर्ट में पेश करने पर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।
इस मामले में तत्कालीन संविदा कर्मचारी गजेन्द्रसिंह व अन्य भी लाभार्थी हैं। जिनकी तलाश की जा रही है। गजेन्द्रसिंह पकड़ में नहीं आ सका।
चार साल में छह लाख रुपए की चपत राज्य सरकार ने योजना के तहत प्रति प्रसूता प्रति भोजन के लिए 70 रुपए दर तय की थी। जिसे वर्ष 2015 में 99.50 रुपए कर दिया गया था। आरोपियों ने वर्ष 2017 में फर्जी आदेश पर यह दर 145 कर दी थी। वो भी वर्ष 2015 से लागू कर दी थी। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने दो साल का एरियर मिलाकर वर्ष 2019 तक छह लाख रुपए अतिरिक्त भुगतान उठाया था। इसमें से काफी राशि वापस जमा कराई जा चुकी है।
चार साल में छह लाख रुपए की चपत राज्य सरकार ने योजना के तहत प्रति प्रसूता प्रति भोजन के लिए 70 रुपए दर तय की थी। जिसे वर्ष 2015 में 99.50 रुपए कर दिया गया था। आरोपियों ने वर्ष 2017 में फर्जी आदेश पर यह दर 145 कर दी थी। वो भी वर्ष 2015 से लागू कर दी थी। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने दो साल का एरियर मिलाकर वर्ष 2019 तक छह लाख रुपए अतिरिक्त भुगतान उठाया था। इसमें से काफी राशि वापस जमा कराई जा चुकी है।