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‘स्त्री देह से आगे’ विषय पर जोधपुर में संवाद कार्यक्रम: जो खुद के अलावा सबके लिए जिंदा है, वह मां है: कोठारी

जो देवता नहीं कर सकते, वह मां करती है। मां अपने गर्भ में आई जीव रूपी आत्मा को इंसान बनाती है। चाहे वह पूर्व जन्म में जानवर, पेड़, पत्थर कुछ भी रहा हो, मां उसे अपने दिव्यता से इंसान में ढाल देती है।

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Gulab kothari

जोधपुर। जो देवता नहीं कर सकते, वह मां करती है। मां अपने गर्भ में आई जीव रूपी आत्मा को इंसान बनाती है। चाहे वह पूर्व जन्म में जानवर, पेड़, पत्थर कुछ भी रहा हो, मां उसे अपने दिव्यता से इंसान में ढाल देती है। मां ने जो एक बार निर्माण कर दिया, जो आकृति जड़ दी, उसे कोई नहीं बदल सकता। जो खुद के अलावा सबके लिए जिंदा है, वह मां है।

यह बात राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी ने सोमवार को करवड़ स्थित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के सुश्रुत सभागार में आयोजित अपनी पुस्तक 'स्त्री देह से आगे' पर चर्चा के दौरान कही। महिलाओं, युवतियों और छात्राओं के साथ इस विशेष संवाद में गुलाब कोठारी ने महिलाओं के अस्तित्व, दिव्यता और उनके महत्व के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा की।

चर्चा के बाद सवाल जवाब का भी सेशन रहा, जिसमें कोठारी ने महिलाओं और युवतियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति प्रो. पीके प्रजापति ने कहा कि पूरे समाज की जिम्मेदारी स्त्री पर है। उनका परिवार से लेकर राजपरिवार तक नियंत्रण रहा है। हमारा समाज स्त्री प्रधान ही रहा है।

बच्चे और पति का एक साथ पोषण करती है स्त्री

कोठारी ने कहा कि स्त्री अपने बच्चे का ही नहीं पति का निर्माण भी कर रही होती है। जैसे पत्थर से मूर्ति घड़ते समय उस पर छैनी का प्रहार होता है, उसी तरह पति का निर्माण भी होता है। दोनों के मध्य हल्की नोक झोंक का कारण भी यही है। एक स्त्री अपने बच्चे और पति का साथ-साथ पोषण करती है।

पुरुष खराब व्यवहार क्यों कर रहा

कोठारी ने कहा कि पुरुष खराब व्यवहार कर रहा है तो उसे भी तो किसी मां ने तैयार किया होगा। लड़कों को स्वच्छंद छोड़ दिया जाता है लेकिन लड़कियों को अनुशासन सिखाया जाता है। इस पर गहरे चिंतन की जरूरत है।

सशक्तिकरण के नाम पर हाथ मत फैलाओ

कोठारी बोले कि महिलाएं सशक्तिकरण के नाम पर उन पुरुषों के आगे हाथ फैला रही हैं, जिनसे वह दुखी हैं। हर आदमी कीमत मांगता है, जबकि देने का काम केवल मां करती है।

शिक्षा केवल शरीर का विकास कर रही

कोठारी ने कहा कि शिक्षा केवल शरीर का विकास कर रही है। बीस साल केवल अच्छी तरह से पेट भरने की शिक्षा दी जाती है जबकि दुनिया के दूसरे जीव बगैर शिक्षा के ही पेट भरते हैं। कॅरियर और पैकेज में आत्मा खो गई है।