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जोधपुर में बिना नाव के डूब रहा आपदा प्रबंधन, कैसे निपटेंगे बिगड़े हालात से

- 13 लाख की आबादी 24 वॉलिंटियर के भरोसे- आपदा प्रबंधन में न पर्याप्त स्टाफ ना ही संसाधन

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जोधपुर में बिना नाव के डूब रहा आपदा प्रबंधन, कैसे निपटेंगे बिगड़े हालात से

- विभाग के पास एक अदद नाव भी नहीं

- मानसून अलर्ट अभियान

जोधपुर. मानसून आते ही आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट तो हो जाता है, लेकिन आपदा के समय साधन संसाधन के अभाव में बेबस नजर आता है। 13 लाख की आबादी वाले जोधपुर शहर में बाढ़ के हालात होने पर बचाव की जिम्मेदारी मात्र चार कर्मचारियों के भरोसे है। विभाग के पास स्वयं की नाव और रेस्क्यू पॉइंट तक पहुंचने के लिए वाहन भी नहीं है।

एक पारी में 4 कर्मचारी

कलक्ट्रेट परिसर में संचालित नागरिक सुरक्षा विभाग में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर व डिस्ट्रिक्ट क्विक रेसपोंस टीम (डीक्यूआरटी) के पास तीन पारी में 24-24 कर्मचारी हैं। इनमें अधिकांश अस्थाई हैं। दोनों टीमों के एक पारी में 4-4 कर्मचारी रहते हैं। नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षक के चार पद रिक्त हैं। तीन ड्राइवर, लिपिक व एक वायरलेस सब इंस्पेक्टर का भी पद खाली है।

ब्रीथिंग एपरेटर भी नहीं

डूबते को बचाने के लिए गोताखोर चाहकर भी पानी में नहीं जा सकता। गहरे पानी में सांस लेने के लिए ब्रीथिंग एपरेटर की जरुरत होती है, लेकिन विभाग के पास यह भी नहीं है।

4 लाइफ जैकेट
विभाग के पास चार लाइफ जैकेट ही उपलब्ध हैं। ड्रेगन लाइट, रस्से, स्ट्रेचर व कम्बल आदि खरीदे गए हैं। मार्च माह में 1 लाख का सामान खरीदा, लेकिन स्टाफ व शहर के एरिए के अनुसार पर्याप्त नहीं है।

तैराक व गोताखोर नहीं

नगर निगम के पास तैराक व गोताखोर नहीं है और न ही विभाग में पद है। हादसा होने पर निगम आपदा प्रबंधन पर ही निर्भर रहता है। निगम ने अब ड्रेगन लाइट खरीदी है। 12 ट्यूब, 10 रस्से व लाइफ जैकेट की व्यवस्था है। जलभराव की स्थिति में पंप से पानी खाली करने के लिए निगम ने दस मड पम्प का वर्कऑर्डर दिया है। निगम के पास फिलहाल 6 मड पंप हैं।

इनका कहना है

इस वर्ष एक लाख का सामान खरीदा है, जिसमें कुछ लाइफ जैकेट, ट्यूब व ड्रेगन लाइट शामिल है। बाकी संसाधन स्टाफ के हिसाब से पर्याप्त है। हां बोट नहीं है, इसका प्रस्ताव भी भेजा गया है।

- नरपतसिंह, फायरमैन, आपदा प्रबंधन