जोधपुरPublished: May 18, 2023 09:24:42 am
Anand Mani Tripathi
जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सरकारी चिकित्सक की सुबह शराब के नशे में कार चलाकर टक्कर कारित करने के मामले में जमानत अर्जी नामंजूर कर दी। अपीलार्थी कार चलाते हुए लोगों को टक्कर मार दी। इसके चलते एक व्यक्ति भंवर लाल की मौके पर ही मौत हो गई और एक गर्भवती महिला का गर्भपात हो गया।
जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सरकारी चिकित्सक की सुबह शराब के नशे में कार चलाकर टक्कर कारित करने के मामले में जमानत अर्जी नामंजूर कर दी। कोर्ट ने शराब के नशे में कार चलाने के आए दिन होने वाले हादसों पर भी चिंता प्रकट की है। न्यायाधीश कुलदीप माथुर की एकल पीठ में योगेन्द्र सिंह नेगी की ओर से दायर अपील की सुनवाई के दौरान बताया गया कि अपीलार्थी एक सरकारी अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक है। घटना के अनुसार 5 जनवरी को सुबह नशे की हालत में अपीलार्थी कार चलाते हुए अस्पताल पहुंचा और वहां खड़े लोगों को टक्कर मार दी। इसके चलते एक व्यक्ति भंवर लाल की मौके पर ही मौत हो गई और एक गर्भवती महिला का गर्भपात हो गया।
अपीलार्थी ने दलील दी कि उसके खिलाफ धारा 304 आईपीसी के तहत अपराध नहीं बनता है। ज्यादा से ज्यादा यह आईपीसी की धारा 304-ए का मामला है। स्पीड ब्रेकर से गुजरने दौरान कार अनियंत्रित हो गई थी। अधिवक्ता ने कहा कि मामले की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसके वर्मा और राहुल राजपुरोहित ने जमानत का विरोध किया।
प्रथम दृष्टया निष्कर्ष
एकल पीठ ने कहा कि प्राथमिकी, चालान और मेडिकल रिपोर्ट को देखने के आधार पर प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पेशे से चिकित्सक अपीलार्थी शराब के नशे में कार चलाने के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ था। अपीलार्थी ने सुबह शराब का सेवन करने के बाद अपनी कार चलाई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई, एक गर्भवती महिला का गर्भपात हो गया। कई लोग चोटिल हो गए। एक सरकारी चिकित्सक ने बीमार रोगियों को उपचार प्रदान करने के नैतिक दायित्व के साथ नशे में ड्राइविंग के दुष्प्रभावों से अवगत होने के बावजूद ऐसा कृत्य किया।
बढ़ रही ऐसी घटनाएं
पीठ ने कहा कि हमारी राय में तेजी से और शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। ऐसे मामले में जमानत देते समय आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इस तरह के मामलों की तुलना ऐसे मामलों से नहीं की जा सकती है, जहां कोई व्यक्ति जल्दबाजी या लापरवाही से वाहन चलाने से मौत का कारण बनता है। कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट को टिप्पणी से अप्रभावित रहने को कहा गया है।