करीब 33 करोड़ की लागत से बने माचिया जैविक उद्यान में वन्यजीवों को रात्रि विश्राम के लिए निर्मित शेल्टर हाउस से पुन: एन्क्लोजर (पिंजरे) में आने के लिए रेम्प नहीं होने के कारण कूद कर बाहर आना पड़ता है। डॉग प्रजाति के लकड़बग्घा (हायना ), भेडि़ए, जैकाल के अलावा भालू आदि के पिंजरों में रेम्प नहीं होने से वन्यजीवों को खासी दिक्कते आती हैं। ऐसे में कई बार वन्यजीव शेल्टर हाउस से बाहर तक आना पसंद नहीं करते है जिससे दर्शकों को वन्यजीव देखने से वंचित रहना पड़ता है। वन्यजीवों के लगभग सभी पिंजरों में पानी की पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त हुए अर्सा बीत चुका है जिससे सभी जलकुण्ड सूखे पड़े है।
केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के नियमों के अनुसार देश के किसी भी जंतुआलय अथवा वन्यजीव पार्क में वन्यजीवों का जोड़ा अथवा विशेष परिस्थिति में दो जोड़ों को रखा जाना चाहिए लेकिन जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान में जैकाल (गीदड़) की संख्या 18 तक पहुंच चुकी है। जैकाल ने वॉटर बॉडी के नीचे घर बनाए है और कभी ढहने से मौत हो सकती है।