लोगो-इंडेफ्थ स्टोरीजोधपुर. कोरोना के शुरुआती दौर में जयपुर कोरोना सैंपल लेने के मामले में जोधपुर से थोड़ा-बहुत आगे चल रहा था। फिर अप्रेल-मई माह में जोधपुर में सैंपलिंग की रफ्तार इतनी बढ़ी कि हम जयपुर से 60 से 70 हजार सैंपल अधिक ले चुके थे। उस समय असिम्टोमेटिक मरीजों की भरमार थी, क्योंकि सारे घरों में क्वॉरंटाइन थे। कम्यूनिटी स्प्रेड पर जोधपुर लगाम लगा चुका था। जुलाई-अगस्त आते-आते जोधपुर में प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को लेकर ढील छोड़ दी, सितंबर माह में एक दिन में डेढ़ दर्जन मौतें होने लगी।
सितंबर में सैंपलिंग कम कर जिंदगियां बचाने की बातें करते रहे जिम्मेदारजोधपुर में अगस्त माह से सिम्टोमेटिक (खांसी, जुकाम और बुखार ) के मरीज सामने आने लग गए थे। सितंबर माह में जोधपुर में अस्पताल भरने लग गए। एक्टिव केस का आंकड़ा 6 हजार के करीब जा पहुंचा। अधिकारी उस समय बयान दे रहे थे कि अब उनके लिए पॉजिटिव आना बड़ी बात नहीं है, जो बीमार है, उनको समुचित इलाज कराना प्राथमिकता है। इस रणनीति के तहत शहर भर में कई संक्रमित घूमते रहे, लेकिन रैंडम जांच के अभाव में संक्रमित सामने नहीं आए।