
एआई तस्वीर
पश्चिमी राजस्थान की जीवनरेखा कही जाने वाली लूणी और उसकी सहायक जोजरी नदी के दिन फिर बदल सकते हैं। दशकों से सूख चुकी इन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेषज्ञों और सरकार ने मिलकर मरुगंगा परियोजना को नया स्वरूप दिया है। यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल नदियों को बारह महीने प्रवाहमान बनाएगी बल्कि मरुस्थल को हरियाली का संदेश भी देगी।
भूगोलविद डॉ. एन.एस. राठौड़ के अनुसार यदि यमुना और घग्घर नदियों के अतिरिक्त जल को नहरों के माध्यम से जोड़कर जोजरी-लूणी नदी में छोड़ा जाए तो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जल संकट खत्म हो सकता है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि, सिंचाई क्षेत्र का विस्तार और पीने के पानी की समस्या का स्थायी समाधान होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि राजस्थान के भविष्य की जल क्रांति है। डॉ. राठौड़ का कहना है कि यह योजना अगर समय पर अमल में लाई गई तो यह मरुस्थल को हरियाली का उपहार देगी और आने वाले वर्षों में लूणी-जोजरी नदियां बारह महीने बहते हुए जीवन का आधार बनेंगी।
सैटेलाइट डाटा और भूगोल वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार मरुगंगा परियोजना 1500 किलोमीटर लंबी नई जलधारा का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह परियोजना न केवल जोधपुर, नागौर और बाड़मेर जैसे जिलों को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि मारवाड़-मालानी क्षेत्र को भी कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे राजस्थान में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम होंगे।
यह वीडियो भी देखें
वर्तमान में पश्चिमी राजस्थान के कई इलाके भूजल दोहन के कारण 'डार्क जोन' घोषित हैं। लेकिन इस योजना के लागू होने पर ये क्षेत्र 'व्हाइट जोन' में बदल जाएंगे। सिंचाई के विस्तार से खेती में नई जान आएगी और पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे पलायन पर अंकुश लगेगा।
Updated on:
01 Aug 2025 02:21 pm
Published on:
01 Aug 2025 02:19 pm
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
