पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज, पांच हजार की कॉस्ट लगाई
जोधपुरPublished: Jun 24, 2021 02:12:15 pm
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज
पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज, पांच हजार की कॉस्ट लगाई
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए पांच हज़ार रुपए की कॉस्ट लगाई है। साथ ही याचिकाकर्ता को बेटी का मूल जन्म प्रमाण पत्र सुपुर्द करने को कहा है।
न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी एवं न्यायाधीश देवेंद्र कच्छवाह की खंडपीठ में याचिकाकर्ता उत्तम कुमार की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान याची की बेटी को पेश किया गया। उसने कोर्ट को बताया कि उसे न तो ननिहाल पक्ष ने निरुद्ध कर रखा है और न ही उसकी जान का कोई खतरा है। वह सामान्य तौर पर अपनी मां के साथ रहती है लेकिन छुट्टियां होने से ननिहाल गई हुई थी। उसने कहा कि उसके बचपन से ही मां और पिता अलग अलग रह रहे हैं और तलाक के बाद उसके पिता कभी मिलने नहीं आए।कोर्ट के समक्ष याची की बेटी ने कहा कि वह अपने पिता से नहीं मिलना चाहती। उसका मूल जन्म प्रमाण पत्र पिता के पास है, जो उसकी मां को दिया जाए। याचिकाकर्ता के साथ किसी तरह के संबंध रखने से भी उसने इंकार कर दिया और कहा कि वह अपनी मां के साथ रहना चाहती है। अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कहा कि बेटी की कस्टडी लेने की आड़ में यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है, जिससे मध्यप्रदेश और राजस्थान पुलिस को अनावश्यक रूप से श्रम ज़ाया करना पड़ा। उन्होंने याचिकाकर्ता पर भारी कॉस्ट लगाने का अनुरोध किया। सुनवाई के दौरान याची की बेटी की नानी और दो मामा भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि याचिका की सुनवाई के लिए चार लोगों को मध्य प्रदेश से जोधपुर आना पड़ा।इससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पर 5 हज़ार की कॉस्ट लगाते हुए यह राशि याची की बेटी के मामा के खाते में जमा करवाने के निर्देश दिए। साथ ही याचिकाकर्ता को कहा कि वह बेटी का मूल जन्म प्रमाण पत्र शीघ्र उसकी मां को स्पीड पोस्ट से भिजवाए।