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जोधपुर एम्स में जूनियर रेजिडेंट ने सोशल मीडिया पर कहा दुनिया को अलविदा, दोस्तों ने बचा लिया, दहलाने वाली है वजह

locationजोधपुरPublished: Nov 15, 2019 11:33:24 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जोधपुर एम्स) के इएनटी विभाग में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने गुरुवार को हॉस्टल में नशीली दवाएं खाकर जान देने का प्रयास किया। लेकिन सोशल मीडिया पर उसकी पोस्ट पढ़ हरकत में आए साथी रेजिडेंट्स ने उसे बचा लिया।

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जोधपुर एम्स में जूनियर रेजिडेंट ने सोशल मीडिया पर कहा दुनिया को अलविदा, दोस्तों ने बचा लिया, दहलाने वाली है वजह

जोधपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जोधपुर एम्स) के इएनटी विभाग में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने गुरुवार को हॉस्टल में नशीली दवाएं खाकर जान देने का प्रयास किया। लेकिन सोशल मीडिया पर उसकी पोस्ट पढ़ हरकत में आए साथी रेजिडेंट्स ने उसे बचा लिया। दिल्ली एम्स से एमबीबीएस करने वाले इस रेजिडेंट ने गत वर्ष मार्च में जोधपुर एम्स में दाखिला लिया था। उसका दिल्ली और जोधपुर एम्स में मानसिक उपचार चल रहा है। रेजिडेंट ने सुबह 11 बजकर 56 मिनट सोशल मीडिया पर दुनिया से अलविदा होने की पोस्ट डाली थी।
4 मिनट में साथी रेजिडेंट्स ने पढ़ ली और हाथोंहाथ कमरे में पहुंच दरवाजा खोल उसकी जान बचा ली। सोशल मीडिया पोस्ट में खुद के मौत की जानकारी माता-पिता तक पहुंचाने का आग्रह किया था। हालांकि रेजिडेंट के अवसाद में आने का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है। रेजिडेंट के पिता भोपाल एम्स में रेडियोथेरेपिस्ट हैं।
जोधपुर एम्स में स्टूडेंट्स वेलफेयर के डीन और एनटॉमी विभाग के एचओडी डॉ. सुरजीत घटक ने बताया कि रेजिडेंट को आइसीयू में भर्ती कराने के साथ उसके पिता को सूचना पहुंचा दी गई है। बासनी पुलिस ने बताया कि अभी उनके पास कोई सूचना नहीं आई है।
एम्स में सुसाइट का बैड कल्चर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर (एम्स) में सीनियर चिकित्सक शिक्षकों की दबंगई कहीं न कहीं एम्स के विद्यार्थियों को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित कर रही है। कई जूनियर मानते हैं कि एम्स के सीनियर्स टीचर्स डॉक्टर्स ने जूनियर्स को दबाने व धमकाने का बैड कल्चर पैदा कर दिया है। जानकारों के अनुसार एमएस ईएनटी के जूनियर रेजिडेंट के आत्महत्या के प्रयास प्रकरण में भी सीनियर्स के काम का प्रेशर व उनका दुव्र्यवहार सामने आ रहा है। इसमें तीन चिकित्सक शिक्षकों के नाम बताए जा रहे हैं। एम्स में और भी कई विभागों के डॉक्टर्स व मेडिकोज अपने सीनियर्स से परेशान हैं। एम्स में पहले भी कई बार आत्महत्याएं हो चुकी है। पहले भी कई बार आत्महत्या के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन मामले अंदर ही दब गए।
अब तक ये दर्दनाक मामले

– 7 जुलाई 2015 : जयपुर के फुलेरा निवासी एमबीबीएस छात्र गजेन्द्रसिंह (19) ने हॉस्टल रूम में फांसी लगाकर जान दे दी थी। तब गजेन्द्रसिंह ने मेडिकल फील्ड से मुक्ति पाने के लिए सुसाइड करना लिखा था।
– 16 दिसम्बर 2017 : एम्स हॉस्टल में बाड़मेर जिले के बायतु निवासी एमबीबीएस के तृतीय सेमेस्टर के छात्र पाबूलाल (21) ने बालकनी से लटककर जान दे दी थी।

– 26 जुलाई 2018 : अलवर में मुंडावर तहसील में सिंहाली खुर्द निवासी एमबीबीएस की छात्रा रश्मि यादव ने छात्रावास के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने चार दिन पूर्व ही एम्स में प्रवेश लिया था। सुसाइड नोट में एक शिक्षक की डांट से परेशान होकर आत्महत्या करने का उल्लेख था। पिता रामनिवास यादव ने अज्ञात शिक्षक पर शास्त्रीनगर थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया था।
– 9 सितम्बर 2018 : पंजाब में चण्डीगढ़ निवासी रजनी (22) पुत्री रोहिताश धनवाल ने एम्स छात्रावास के कमरे में चुन्नी से फंदा लगा आत्महत्या की थी।

– 29 जून 2019 : केरल हाल निवासी भगत की कोठी विस्तार योजना बिज्जी पुनौज (25) ने ऑपरेशन थिएटर तीसरी मंजिल पर ऑपरेशन थिएटर के बाहर गैलेरी बंद करने के बाद महिला नर्स ने ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल आत्महत्या कर ली थी।
– 14 नवंबर 2019 : एम्स के एमएस ईएनटी के जूनियर रेजिडेंट ने आत्महत्या का प्रयास किया है।

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