विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व केंद्रीय राज्य मंत्री व जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर काफी खींचतान देखी गई थी। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि शेखावत या तो सीट बदल सकते हैं या फिर चुनाव नहीं लड़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद होने के नाते शेखावत को एक बार फिर मौका दिया गया है।
इससे पहले भाजपा शेखावत के अलावा किसी अन्य राजपूत या बिश्नोई समाज के नेता पर भी विचार कर चुकी थी। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली पसंद के रूप में शेखावत ही थे। कुछ दिन पहले संघ की जोधपुर में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में शेखावत व बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल सहित कई नेता शामिल हुए थे।
शेखावत ने छात्र राजनीति के जरिए अपना करियर शुरू किया था। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के बाद वे संघ में आंतरिक रुप से काम करते रहे लेकिन सार्वजनिक नहीं आए थे। बॉर्डर क्षेत्र के संगठन से जुड़ कर भी उन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया था। जोधपुर सांसद चुने जाने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता ने प्रधानमंत्री व केंद्रीय नेतृत्व के नजदीक ला दिया था। अपनी रुचि कृषि में बताने के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें कृषि राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी।
इधर पाली से सांसद पीपी चौधरी की प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व तक हुई शिकायत के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया है। कुछ दिन पहले ही चौधरी के विरोध में कई विधायक व पूर्व विधायक के साथ जिला प्रमुखो के हस्ताक्षर का एक पत्र संगठन को सौंप था। लेकिन इसके बावजूद पीपी चौधरी को जातीय समीकरण एवं केंद्रीय नेतृत्व में अच्छी छवि होने का फायदा मिला।
– अभी कुछ समय पहले ही भाजपा ने शहर एवं देहात के अध्यक्ष व कार्यकारिणी बदली है। नई कार्यकारिणी के साथ सामंजस्य बैठा कर चुनावी रणनीति बनाना भी चुनौती है।