सरकार की जागरूकता के बावजूद कई लोग बच्चों को पूरा टीका नहीं लगवाते। इस अभाव में कई बच्चों की मौत तक हो जाती है। 66 डिप्थीरिया ग्रसित बच्चों में से 12 की मौत हो गई, इन बच्चों के अभिभावकों ने टीका तक नहीं लगवाया। वहीं 3 ऐसे बच्चे भी शोध में सामने आए, जिन्हें गलघोंटू का पूरा टीका लग गया, लेकिन वे फिर भी बीमारी की चपेट में आ गए, हालांकि इनमें बीमारी के लक्षण बहुत कम थे। टीका लगवाने वाले बच्चे बहुत जल्दी तुरंत स्वस्थ हो गए। जिन्होंने टीके नहीं लगवाए, उनको ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी।
इस बीमारी में गले में सूजन, चमड़ी का जलना और फिर रगडऩे पर खून आना जैसी समस्या तो होती ही है, खराब बात ये हैं कि डिप्थीरिया के कीटाणु टोक्सिन रिलीज करते है, जो पूरे शरीर में जहर की तरह फैलते हैं। इससे शरीर का तंत्रिक तंत्र पूरी तरह से कमजोर हो जाता है। कई बार बच्चों को कार्डियक अरेस्ट आता है, उसकी जान चली जाती है। साथ ही लकवा मारने जैसी स्थिति भी बच्चों में हो जाती है।