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बच्चों पर हावी हो रहा ‘गलघोंटू’, नि:शुल्क टीका होने के बावजूद लोग लगवाते नहीं

locationजोधपुरPublished: Oct 26, 2021 07:00:04 pm

– 521 बच्चों में दिखे गलघोंटू के संकेत- 66 बच्चे मिले गलघोंटू ग्रसित- डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के शिशुरोग विभाग की 21 हजार बच्चों पर हुई स्टडी

बच्चों पर हावी हो रहा ‘गलघोंटू’, नि:शुल्क टीका होने के बावजूद लोग लगवाते नहीं

बच्चों पर हावी हो रहा ‘गलघोंटू’, नि:शुल्क टीका होने के बावजूद लोग लगवाते नहीं

जोधपुर. गलघोंटू यानी डिप्थीरिया। ये एक ऐसी बीमारी है, जो कॉमन तब बन जाती है, जब इसका टीका सरकार में नि:शुल्क होने के बावजूद भी लोग लगवाने नहीं पहुंचते। अस्पताल पहुंचने वाले 1 हजार में से करीब 3 बच्चों में औसतन ये बीमारी सामने आती है। ये बीमारी कॉरीनेबेक्टेरियम बैक्टिरिया के संक्रमण से होती है। इसमें बैक्टिरिया सबसे पहले गले को नुकसान पहुंचाता है। समुचित इलाज के अभाव में जान तक चली जाती है। डिप्थीरिया को लेकर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. मोहन मकवाना व टीम ने अध्ययन किया। ये बीमारी बच्चों को सर्वाधिक 3 से 15 वर्ष की आयु के मध्य देखी जाती है। इस शोध में डॉ. शिवजी राम व सहआचार्य डॉ. हरीश मौर्य भी शामिल रहे।
वरिष्ठ आचार्य डॉ. मकवाना ने बताया कि शिशु रोग विभाग ने अस्पताल आए 21 हजार बच्चों को अध्ययन में शामिल किया। ये वे बच्चे हैं, जो जोधपुर संभाग व अन्य जिलों से दिखाने आए थे। इसमें से 521 बच्चों में चिकित्सकों को गलघोंटू के लक्षण दिखे। इसमें से 66 बच्चों को लैब जांच में डिप्थीरिया मिला। इस बीमारी में जांच भी लैब में कोरोना व स्वाइन फ्लू की तरह स्वाब लेकर की जाती है।
12 बच्चों की हुई मौत
सरकार की जागरूकता के बावजूद कई लोग बच्चों को पूरा टीका नहीं लगवाते। इस अभाव में कई बच्चों की मौत तक हो जाती है। 66 डिप्थीरिया ग्रसित बच्चों में से 12 की मौत हो गई, इन बच्चों के अभिभावकों ने टीका तक नहीं लगवाया। वहीं 3 ऐसे बच्चे भी शोध में सामने आए, जिन्हें गलघोंटू का पूरा टीका लग गया, लेकिन वे फिर भी बीमारी की चपेट में आ गए, हालांकि इनमें बीमारी के लक्षण बहुत कम थे। टीका लगवाने वाले बच्चे बहुत जल्दी तुरंत स्वस्थ हो गए। जिन्होंने टीके नहीं लगवाए, उनको ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी।
बच्चों को कार्डियक अरेस्ट व लकवा तक मार जाता है
इस बीमारी में गले में सूजन, चमड़ी का जलना और फिर रगडऩे पर खून आना जैसी समस्या तो होती ही है, खराब बात ये हैं कि डिप्थीरिया के कीटाणु टोक्सिन रिलीज करते है, जो पूरे शरीर में जहर की तरह फैलते हैं। इससे शरीर का तंत्रिक तंत्र पूरी तरह से कमजोर हो जाता है। कई बार बच्चों को कार्डियक अरेस्ट आता है, उसकी जान चली जाती है। साथ ही लकवा मारने जैसी स्थिति भी बच्चों में हो जाती है।
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