उन्होंने कहा कि कहा कि पिछले 6 माह में मोदी सरकार के क्रांतिकारी निर्णयों के कारण उपजी कुंठा ही कुछ विरोधियों के हिंसात्मक कदम के रूप में सामने आ रही है। सीरिया संकट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, उस दौरान लाखों शरणार्थी यूरोप पहुंचे। आज बेल्जियम में कुल जनसंख्या का 24 प्रतिशत शरणार्थी हो गए हैं। अब उन्होंने बेल्जियम को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की मांग की है। तो अगर पड़ोसी देशों के बहुसंख्यकों को यहां की नागरिगकता कैसे दी जा सकती है। बर्मा में रोहिंग्याओं ने अलग देश की मांग की थी।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त न्यायाधीश एचआर पवार ने सीएए को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि 2014 से पहले पड़ौसी देशों से प्रताडि़त हो कर आए वहां के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए ही यह अधिनियम लाया गया है। वर्षों से भारत मे रह रहे शरणार्थियों के लिए यह अधिनियम सपने के पूरे होने जैसा है। इससे इन शरणार्थियों के खिलाफ चल रहे मुकदमे स्वत: समाप्त हो जाएंगे। नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि पाकिस्तान ने समझौते का उल्लंघन करते हुए वहां के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दी।
पुस्तकों का विमोचन
इस अवसर पर दत्तोपंत ठेंगड़ी पर भारतीय किसान संघ की ओर से प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। समारोह में 200 विस्थापितों को गर्म कंबल वितरित किए गए। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास, प्रांत प्रचारक योगेन्द्र, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रकाश चंद्र, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, प्रांत कार्यवाह श्याम मनोहर, प्रांत प्रचार प्रमुख पंकज, प्रांत सह प्रचार प्रमुख हेमंत घोष, पूर्व महापौर घनश्याम ओझा सहित अन्य मौजूद थे। मंच के संयोजक ललित शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन नरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने किया।