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जोधपुर. राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) को लागू हुए अब करीब एक महीना होने को आया है लेकिन तकनीकी खामियों के चलते सर्वाधिक परेशानी बुजुर्ग पेंशनर्स को उठानी पड़ रही है। अब उन्हें दवाइयां मिलना इतना आसान नहीं रहा। सर्वर बार-बार अटकने से पेंशनर्स आधे से एक घण्टे में दवाइयां मिल पाती है। जितना समय डॉक्टर से ओपीडी में जांच करवाने में लगता है, दवाई लेने में भी अब उतना ही समय लग रहा है। शुक्रवार शाम 6 बजे से शनिवार शाम 6 बजे तक सर्वर काफी डाउन रहा। सहायता नम्बर 181 पर पूछने पर बताया गया कि मेंटेनेंस किया जा रहा है।
जोधपुर. राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) को लागू हुए अब करीब एक महीना होने को आया है लेकिन तकनीकी खामियों के चलते सर्वाधिक परेशानी बुजुर्ग पेंशनर्स को उठानी पड़ रही है। अब उन्हें दवाइयां मिलना इतना आसान नहीं रहा। सर्वर बार-बार अटकने से पेंशनर्स आधे से एक घण्टे में दवाइयां मिल पाती है। जितना समय डॉक्टर से ओपीडी में जांच करवाने में लगता है, दवाई लेने में भी अब उतना ही समय लग रहा है। शुक्रवार शाम 6 बजे से शनिवार शाम 6 बजे तक सर्वर काफी डाउन रहा। सहायता नम्बर 181 पर पूछने पर बताया गया कि मेंटेनेंस किया जा रहा है।
आरजीएचएस 1 नवम्बर से प्रदेश भर में लागू हुई। इसके तहत अब पेंशनर्स के साथ सरकारी कर्मचारियों को भी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिल रही है। योजना में कई निजी अस्पताल शामिल करने कर्मचारियों को काफी सहूलियत हुई है लेकिन जयपुर स्थित सर्वर सहित अन्य तकनीकी खामियों के कारण एक महीने बाद भी योजना पूरी से गति नहीं पकड़ पा रही है।
पहले केवल डायरी में एंट्री, अब पर्ची स्कैन व एप्रुवल के बाद दवाइयां
पेंशनर्स को आरजीएचएस से रोगी डायरी के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा थी। 80 पेज की डायरी में इलाज व दवाइयों का विवरण लिखा होता था और पेंशनर्स काउंटर पर जाते ही दस मिनट में दवाइयां मिल जाती। अब डायरी खत्म हो गई है। पहले डॉक्टर की पर्ची को स्कैन करना पड़ता है। इसके बाद एक-एक दवाइयों के लिए ऑनलाइन एप्रुवल मिलती है। सर्वर पर ट्रेफिक अधिक रहा तो एप्रुवल में समय लग जाता है।
पेंशनर्स को आरजीएचएस से रोगी डायरी के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा थी। 80 पेज की डायरी में इलाज व दवाइयों का विवरण लिखा होता था और पेंशनर्स काउंटर पर जाते ही दस मिनट में दवाइयां मिल जाती। अब डायरी खत्म हो गई है। पहले डॉक्टर की पर्ची को स्कैन करना पड़ता है। इसके बाद एक-एक दवाइयों के लिए ऑनलाइन एप्रुवल मिलती है। सर्वर पर ट्रेफिक अधिक रहा तो एप्रुवल में समय लग जाता है।
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– 13.5 लाख परिवार को मिल रहा आरजीएचएस से फायदा
– 67.50 लाख व्यक्ति योजना में शामिल
– 5 लाख रुपए के इनडोर इलाज की सालाना सुविधा
– 20000 हजार रुपए का वार्षिक आउटडोर इलाज
– 5000 रुपए की चिकित्सकीय जांचों की सुविधा
– 1854 प्रकार की बीमारियों के पैकेज शामिल
– 13.5 लाख परिवार को मिल रहा आरजीएचएस से फायदा
– 67.50 लाख व्यक्ति योजना में शामिल
– 5 लाख रुपए के इनडोर इलाज की सालाना सुविधा
– 20000 हजार रुपए का वार्षिक आउटडोर इलाज
– 5000 रुपए की चिकित्सकीय जांचों की सुविधा
– 1854 प्रकार की बीमारियों के पैकेज शामिल