scriptकिसी कार्यक्रम में घोड़ा लाने से पहले देखें उसकी हैल्थ कुंडली | Glanders in the Horse, Before bringing horse see his health horoscope | Patrika News

किसी कार्यक्रम में घोड़ा लाने से पहले देखें उसकी हैल्थ कुंडली

locationजोधपुरPublished: Mar 04, 2019 10:35:04 pm

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

-Patrika Alert : घोड़ों में लाइलाज बीमारी ग्लेण्डर का खतरा- जोधपुर और जयपुर में जांच सुविधा, वर्ष 2017 में प्रदेश के चार जिलों में की गई थी घोड़ों की मर्सी किलिंग

के. आर. मुण्डियार

जोधपुर.

प्रदेश के घोड़ों में एक बार फिर लाइलाज बीमारी ग्लेण्डर का खतरा मंडरा रहा है। दो साल पहले प्रदेश के चार जिलों में 25 घोड़ों में ग्लेण्डर पॉजीटिव पाया गया था। इस वजह से इन घोड़ों की मर्सी किलिंग की गई थी। पशु चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस कुछ अंतराल बाद पुन: सक्रिय हो सकता है। इसलिए हर 28 दिन में घोड़े या घोड़ी में ग्लेण्डर बीमारी की जांच के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी है। जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही घोड़े/घोड़ी को मेलों, होर्स शो या अन्य किसी इवेंट में इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लेण्डर बीमारी से पीडि़त घोड़ा अन्य पशुओं और इंसानों के लिए खतरनाक हो सकता है। अब तक जिन घोड़ों में यह बीमारी पाई गई, उन्हें वैज्ञानिक विधि से मारा गया था।
क्षेत्रीय रोग निदान केन्द्र (पशुपालन) के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. विपिन कुमार के अनुसार वर्ष 2017 में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय पुष्कर- Puskar Fair मेले में घोड़ों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। उस समय उदयपुर – Udaipur, राजसमंद, अजमेर- Ajmer के किशनगढ़, धौलपुर जिले के 24 घोड़ों में ग्लेण्डर बीमारी के लक्षण सामने आए थे। कुछ घोड़ों की मृत्यु हो गई थी और अन्य जिन घोड़ों में यह बीमारी थी, उनकी स्थानीय प्रशासन की ओर से वैज्ञानिक प्रक्रिया से मर्सी किलिंग की गई थी।
फिलहाल राहत की बात है कि प्रदेश में जितने भी सैम्पल की जांच की गई उनमें इस बीमारी के लक्षण सामने नहीं आए हैं। हाल ही जोधपुर में आयोजित हॉर्स शो में सभी घोड़ों को ग्लेण्डर जांच के बाद ही प्रवेश दिया गया था। आगामी दिनों बाड़मेर के तिलवाड़ा के चैत्री मेले में भी घोड़ों को इस जांच से गुजरना पड़ेगा।
जयपुर-जोधपुर में ही जांच-
राजस्थान में पशुपालन विभाग की जयपुर स्थित राज्य रोग निदान प्रयोगशाला और जोधपुर स्थित क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला में ही ग्लेण्डर बीमारी के लिए नि:शुल्क एलाइजा जांच की जा रही है। जोधपुर लैब में जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर संभाग और जयपुर लैब में जयपुर, भरतपुर, कोटा व अजमेर संभाग के सैम्पल की नि:शुल्क जांच की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जोधपुर लैब में 1138 और जयपुर लैब में करीब 4 हजार सैम्पल की जांच की गई।
—-
1913 में आया था पहला केस-

-भारत में वर्ष 1913 में इस बीमारी का पहला केस सामने आया।
-हरियाणा के हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेन्टर ऑफ इक्वाइन में ग्लेण्डर पर रिसर्च चल रही है।
लक्षण-
– घोड़े के नाक से गाढ़े व पीले पदार्थ का रिसाव

– शरीर में जगह-जगह गांठें व मवाद बाहर आना
– घोड़े का थक जाना और पसलियां दिखाई देना


ग्लेण्डर जांच जरूरी-

अन्य पशुओं और मानव जाति को ग्लेण्डर बीमारी के संक्रमण से बचाने के लिए मेलों, शादी-विवाह या अन्य इवेंट में काम आने वाले सभी घोड़े/घोडि़यों की जांच करवाना जरूरी है।
-डॉ. प्रवीण चौधरी, उपनिदेशक, क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला, पशुपालन, जोधपुर
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो