केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) की वैज्ञानिक एम, सरिता ने लैब में भूसी पर विशेष कवक की मदद से सैकेरीफिकेशन के जरिये एल्कोहल प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है जो बायो फ्यूल के रूप में पेट्रोल में मिश्रित किया जा सकता है। चावल व गेहूं की भूसी के क्रमश: 1.42 और 1.58 अनुपात को पीसकर एक प्रतिशत सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ धोने के बाद उसका एसपरजिलस टेररस सीएम-20 कवक की मदद से ग्लूकोसाइड हाइड्रोलाइसिस किया गया। इससे एथेनॉल पैदा हुआ। गौरतलब है कि खरीफ की फसल लेने के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान खेतों में बची भूसी या पराली को जला देते हैं। अकेले पंजाब में 22 से 23 मिलियन टन पराली पैदा होती है जो दिल्ली को गैस चेम्बर में बदल देती है।
लैब में पराली से बायो फ्यूल सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है। अब इस तकनीक को मितव्ययी करने के प्रयास किए जाएंगे। डॉ. ओपी यादव, निदेशक, काजरी जोधपुर