हरे चारे के अभाव में विटामिन ए की कमी से कुछ समय बाद वन्यजीव की नजर कमजोर होने लग जाती है। धीरे-धीरे उन्हें दिन में भी दिखाई देना बंद हो जाता है। हरे चारे के अभाव में नर-मादा दोनों की प्रजनन क्षमता क्षीण होने के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से त्वचा सम्बन्धी रोग भी बढ़ जाते हैं। हरे-चारे की आपूर्ति नहीं होने और उसकी जगह वन्यजीवों को दी जाने वाली वैकल्पिक खुराक की कोई प्रोपर मॉनिटरिंग की व्यवस्था तक नहीं है। जबकि सीजेडए के नोट्स के अनुसार वन्यजीवों को नियमित भोजन, गुणवत्ता जांचने के लिए क्षेत्रीय वन अधिकारी व पशु चिकित्सा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है।
दो साल से गायब जू हेल्द एडवाइजरी कमेटी सीजेडए के मार्गदर्शन के बाद गठित जू हेल्द एडवाइजरी कमेटी की बैठक पिछले दो साल से नहीं हुई है। इस कमेटी में पशु चिकित्सक, वन्यजीव विशेषज्ञ, स्थानीय एनजीओ, डीएफओ व एसीएफ आदि सदस्य होते है। यह कमेटी वन्यजीवों के स्वास्थ्य व नियमित भोजन को लेकर कार्रवाई करती है।
वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास में जो चारा मिलता है उसकी गुणवत्ता कई गुणा श्रेष्ठ होती है। माचिया जैविक उद्यान में चारे की जगह हरा रिजका प्रोवाइड करवाया जाता है। लेकिन रिजका ही नहीं मिले तो स्थिति गंभीर है। सीजेडए के निर्धारित मानदंड के अनुसार केप्टिविटी में रखे वन्यजीवों को हेल्दी फूड ही दिया जाना चाहिए।