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ऱवि पुष्य नक्षत्र के साथ आज शुरू होगी गुप्त नवरात्रि

  -आद्र्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग खरीदारी के लिए सर्वोत्तम

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ऱवि पुष्य नक्षत्र के साथ आज शुरू होगी गुप्त नवरात्रि

ऱवि पुष्य नक्षत्र के साथ आज शुरू होगी गुप्त नवरात्रि

NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर.आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि रवि पुष्य नक्षत्र के दिव्य संयोग में आरंभ होंगी। पंचागीय गणना के अनुसार इस पर सप्तमी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ दिन के ही रहेंगे। देवी आराधना के पर्वकाल में सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। गुप्त नवरात्रि का पर्व रविवार को शुरू होकर 18 जुलाई तक मनाया जाएगा। पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि इस बार गुप्त नवरात्रि पर रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि और अमृतसिद्धि योग सुबह 5.31 बजे से रात्रि 2.21 बजे तक रहेगा। यह संयोग गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना पर सभी कार्य सिद्ध करने वाला माना गया है। माता के भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। प्रतिपदा तिथि में घर व मंदिर में कलश स्थापना की जाएगी।

बन रहा उत्तम योग

गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार होंगे। गुप्त नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। पूजा की शुरुआत में आद्र्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि रवि पुष्य योग को खरीददारी के लिए सर्वोत्तम माना गया है। रवि योग को साक्षात देवता सूर्य की शक्ति प्राप्त है। मान्यता है कि इस योग में किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता।

घट स्थापना शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 5.31 मिनट से 7. 47 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त- दोपहर 11.59 मिनट से 12.54 मिनट तक।
प्रतिपदा तिथि रविवार सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगी।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में कब किसका पूजन

11 जुलाई - प्रतिपदा मां शैलपुत्री, घटस्थापना
12 जुलाई - मां ब्रह्मचारिणी देवी

13 जुलाई - मां चंद्रघंटा देवी
14 जुलाई - मां कुष्मांडा देवी

15 जुलाई - मां स्कंदमाता देवी
16 जुलाई षष्ठी- सप्तमी तिथि - मां कात्यानी मां कालरात्रि देवी

17 जुलाई अष्टमी तिथि - मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी
18 जुलाई नवमी - मां सिद्धिदात्री, व्रत पारणा

मां दुर्गा के इन स्वरूपों की भी होती है पूजा

गुप्त नवरात्रि में मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी , माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा की जाती है।